अगर आपके अंदर वाकई में काबिलियत है तो उसे कोई कब तक ठुकराएगा, वह तो कहीं न कहीं अपना स्थान पा ही लेगी। काबिलियत को कोई नजरअंदाज़ नहीं कर सकता है।
नेतृत्व का मतलब है, हर किसी की उन्नति को आसान बनाना। जब आप अपने आस-पास की बहुत सी चीजों को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं, तभी आप नेता बन सकते हैं। नेता का सहयोग करने वाले प्रतिभावान लोग चित्र-पहेली के छोटे-छोटे खंड के समान होते हैं। अपने आप में उनका कोई अस्तित्व नहीं है। इन लोगों को साथ रखने के लिए एक आधार की जरूरत होती है। अपने आप वे कुछ नहीं कर सकते।
अगर कोई नेता नहीं होता, तो इन लोगों को कभी काम में नहीं लाया जा सकता था। वो अपनी प्रतिभा को अभिव्यक्त नहीं कर पाते। हो सकता है उनके पास कोई विशेष प्रतिभा हो, लेकिन उनमें नेतृत्व की क्षमता नहीं होती।
अगर किसी को अधिक सम्मान (या तनख्वाह) मिल रही है तो उसकी प्रतिभा के कारण नहीं, बल्कि इसलिए कि वह प्रतिभा का इस्तेमाल करने में समर्थ है, जिस प्रतिभा का इस्तेमाल न हो सके, उसका क्या लाभ? असल में जिस प्रतिभा को काम में नहीं लाया जाता, वह बहुत बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है।
नेता का आईक्यू या बौद्धिक स्तर तथाकथित प्रतिभाशाली व्यक्ति जितना न हो लेकिन वह इन सभी बुद्धिजिवियों को संभालने में सक्षम है। यही उसकी योग्यता है। उसे इसी बात का सम्मान(या तनख्वाह) मिलता है और आपको अपनी बौद्धिक क्षमता के अनुसार मिलता है।
सद्गुरु कहते हैं कि सबसे बड़ी बात यह है कि आपकी जिंदगी की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आपको कितनी तनख्वाह मिलती है। इससे तय होता है कि आपके जीवन में कितनी सुख-सुविधा होगी, लेकिन वह आपके जीवन की गुणवत्ता को कभी तय नहीं करता।
आपकी ज़िंदगी की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि आप जो काम कर रहे हैं, उसे कितनी खुशी से कर रहे हैं। अगर आप पूरे समर्पण के साथ काम कर रहे हैं और उतने ही प्रतिभाशाली हैं, जितना कोई दावा करता है, और आप वास्तव में अपनी बेहतरीन क्षमता के साथ कामयाबी हासिल कर रहे हैं, तो आप अपने समूह के लिए अनिवार्य हो जाते हैं।
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तनख्वाह में बढ़ोत्तरी के बारे में सोचने की बजाय, लोगों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वह संस्था के लिए इतने जरूरी हो जाएं कि लोग उनके बिना स्थिति को संभालने की कल्पना भी न कर पाएं। महीने के अंत में आपको जो मिलता है, वह बस कुछ चीजों को आसान बनाता है।
उससे यह तय हो सकता है कि आप किस तरह के मकान में रहेंगे, किस तरह की कार चलाएंगे लेकिन आप उस कार को कितनी खुशी के साथ चलाएंगे, यह उससे तय नहीं होता। उस घर में कितने आनंद से आप रहेंगे यह उससे तय नहीं होता। आपके जीवन की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि आप जीवन को किस तरह से महसूस करते हैं, न कि इस बात पर कि आपके पास क्या है या आप कहां रहते हैं।
इसलिए एक बार आप अपने जीवन की गुणवत्ता तय कर लें और आपका खुश रहने का स्वभाव हो, तो आप अपनी बेहतरीन क्षमता में काम करेंगे और आपको अपनी योग्यताओं का ईनाम मिलेगा। आज या कल इसका फल मिलना ही है।
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कभी-कभी मंदी आ सकती है। कभी आपको अपनी मौजूदगी का अहसास कराने के लिए थोड़ा शोर करना पड़ सकता है क्योंकि यह एक बड़ी तस्वीर है, हो सकता है कि आप पर नजर न पड़े। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि आप जीवन का आनंद उठा रहे हैं या बस ज़िंदगी काट रहे हैं?
इस बात पर विचार कीजिए कि अंत में आपको क्या मिलता है, यह अहम नहीं है। अंत में तो आपको बस कब्र का एक पत्थर मिलता है। भारत में तो वह भी नहीं मिलता। आपको जला दिया जाता है। अंत में, आपको कुछ नहीं मिलता। आखिरी नतीजा क्या है? आखिरी नतीजा कुछ भी नहीं है।
ज़िंदगी का मतलब है कि आप अभी उसे कैसे जी रहे हैं। महीने के अंत में या आपकी ज़िंदगी के अंत में क्या होता है, यह समस्या नहीं है। आपको चंदन की लकड़ी पर जलाया जाए या जंगली जानवरों के आगे फेंक दिया जाए, क्या फर्क पड़ता है? आपने ज़िंदगी कैसे जी, यही मायने रखता है। इसलिए उस खुशबू के लिए महीने के अंत का इंतजार न करें। ज़िंदगी की खुशबू इसी पल मौजूद है। तभी तो कहा गया है कि काबिल बनो, काबिलियत आपके पास चलकर आएगी।
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