उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ का रहने वाला गणेश प्रसाद करीब दो दशक तक हनुमान सेतु मंदिर और शनि मंदिर के पास भीख मांगता था, आज वह अपनी पान की दुकान चलाता है। इतना ही नहीं वह ऐसे लोगों को प्रेरणा भी देता है जो भिखारी हैं। ठीक इसी तरह देव कुमार प्रजापति जो पहले भिखारी थे,अब मजदूरी करते हैं।
हम यहां एक और भिखारी की बात करते हैं नाम है रेणुका आराध्य आज उनकी कंपनी है और उसका टर्नऑवर करोड़ों में है। उम्र के 50 से ज्यादा साल जी चुके रेणुका खुश हैं, अपनी इस जिंदगी से जो उन्होंने खुद मेहनत से तैयार की है।
झारखंड के छोटू बरैक जो बचपन से दिव्यांग हैं, लेकिन भीख मांगकर इतना पैसा कमा चुके हैं कि भीख को ही धंधा बना दिया। छोटू वेस्टीज (हेल्थ केयर पर्सनल केयर उत्पादों) के डिस्ट्रीब्यूटर हैं। इसके अलावा सिमडेगा जिले के बंडी गांव में उनकी बर्तनों की दुकान है।
यहां चार भिखारियों के बारे में आपने अभी तक पढ़ा ऐसे दुनिया में अनगिनत होंगे, लेकिन इन सभी में एक बात समान है और वो है ‘मुफलिसी में जिंदगी को यूं ही जाया नहीं कर देना।’ यह सोच ही उनको भिखारी से कारोबारी बनाने में मददगार साबित हुई और यह बात किसी रहस्य से कम नहीं है।
भिखारियों का मानसिक स्तर इतना गिर जाता है कि वो आगे कुछ समझ और सोच ही नहीं पाते, लेकिन इन भिखारियों ने वो कर दिखाया जो उनके लिए आसान नहीं था। दुनिया मे ऐसे कई लोग हैं जो आर्थिक परेशानी आते ही घबरा जाते हैं। जब कि यदि आपके पास एक रुपए है तो उसके जरिए भी आप एक लाख रुपए कमा सकते हैं। बशर्ते उस एक रुपए का सही उपयोग कैसे किया जाए यह विचार आपको ही करना होगा।
महाभारत में एक प्रसंग आता है कि जब पांडव द्रोपदी के स्वयंवर में पहुंचे तो अर्जुन ने वहां मौजूद परीक्षा को पास किया था। परीक्षा यह थी कि नीचे पानी में देखकर ऊपर घूम रही मछली की आंख पर तीर लगाना था। अर्जुन धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं और जल में मछली की आंख को देखते हैं और तीर सीधा मछली की आंख से आर-पार हो जाता है और इसके बाद उनका विवाह द्रोपदी से होता है। इस पौराणिक कहानी का सार है ‘लक्ष्य पर केंद्रित रहें।’ यदि आपने ऐसा कर लिया तो आपको कोई हरा नहीं सकता है।
इन भिखारियों ने यही किया। वह अपने लक्ष्य को कभी नहीं भूले और एक दिन ऐसा भी आया जब वह भिखारी की जिंदगी को छोड़ एक कारोबारी, एक दुकानदार और एक मेहनतकश मजदूर बनकर नई जिंदगी जी रहे हैं, अब वह लोगों के लिए मिसाल बन चुके हैं।
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