90 का दशक, भारत के राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन पर रात 8 बजकर 15 मिनट पर हिंदी समाचार शुरू हुआ करते थे। समाचार के ठीक पहले या बाद में भारतीय जीवन बीमा निगम का ऐड आया करता था, जिसमें स्मृति ईरानी जोकि आज केंद्रीय मंत्री हैं, जीवन बीमा निगम की वृद्धावस्था पेंशन पॉलिसी के बारे में बताती थीं। इसके बाद एक बहुत ही मार्मिक संगीत और गीत की चंद लाइनें सुनने को मिलती थीं।
उस गीत के बोल हुए करते थे, ‘जाने वाले तो एक दिन चले जाते हैं, बस यादें ही उनकी वो दे जाते हैं, नाम उनके स्मारक बनाते रहें, उनकी यादों को हम यूं सजाते रहें।’ अमूमन, 90 के दशक में यह ऐड जो लोग दूरदर्शन देखते थे, उन्हें याद ही होगा।
यह ऐड एलआईसी वृद्धावस्था पेंशन पॉलिसी के प्रचार के लिए बनाया गया था ,लेकिन इस ऐड के जरिए एक ओर बात सामने आती थी वो थी बच्चों में मोरल वैल्यू को डवपलप करना। ऐड की पहली पंक्ति ‘जाने वाले तो एक दिन चले जाते हैं‘, यानी हमारे पेरेंट्स। इसके बाद की पंक्ति ‘बस यादें ही उनकी वो दे जाते हैं’। तीसरी पंक्ति नाम ‘उनके स्मारक बनाते रहें’, यानी सदियों पहले से किसी के निधन के बाद स्मारक बनाए जाते रहे हैं, ताकि ‘उनकी यादों को हम संजो कर रख सकें’।
यह तो बात हुई दूरदर्शन के उस ऐड की, लेकिन क्या हम यही बात अपने बच्चों को बताते हैं। क्या हम उन्हें इस बात का अहसास दिलाते हैं कि एक न एक दिन सभी को जाना है। कब जाना है, कोई नहीं जानता है… लेकिन, एक बात जो हम जानते हैं, वो यह कि यदि हम बच्चों में मोरल वैल्यू यानी नैतिक शिक्षा बचपन से विकसित करेंगे, तो हमें कभी ओल्ड एज होम (वृद्धाश्रम) बनाने की जरूरत ही नहीं होगी।
माता-पिता को बचपन से ही उनको यह बताने की कोशिश करना चाहिए है कि वो उस देश में जन्में है जहां भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, श्रवण कुमार, लव-कुश, पांडव जैसे लोगों ने जन्म लिया, जिन्होंने ताउम्र और मरते दम तक अपने माता-पिता का आदर किया था।
जब यह बातें बार-बार कहानी, कार्टून, फिल्म, संगीत या किसी अन्य माध्यम के जरिए, बच्चों को बताई जाती हैं, तो यह उनके मन में बस जाती हैं। ये बातें उस समय भी उन्हें याद रहेंगी, जब वो बड़े हो जाएंगे और माता-पिता वृद्ध। ऐसे में उनके मन में नैतिक शिक्षा के जो बीज आपने रोपित किए थे, वो हमेशा पल्लवित रहेंगे। तब चाहकर भी कोई बच्चा अपने माता-पिता को ओल्ड एज होम भेजने के बारे में सोच नहीं सकेगा।
कहा भी गया है, ‘जब कोई अपना हमसे दूर चला जाता है, तो उसकी कीमत बाद में पता चलती है।’
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