सही व्यक्ति कौन है? यह सवाल सभी के मन में आता है, लेकिन इस धरती पर सही व्यक्ति कोई नहीं है। यदि आप किसी चीज में अपना दिल लगा लें, तो वो चीज बढ़िया हो सकती है। किसी ने कभी भी कोई सही व्यक्ति नहीं पाया है।
यदि आप इस तरह की अवास्तविकता भरी मानसिकता में पढ़ते हैं कि आपने सही व्यक्ति पा लिया है तो आप जल्दी ही निराश होने वाले हैं। आपको समझना चाहिए कि कोई सही व्यक्ति नहीं है। पहली चीज तो यह है कि यह देखना चाहिए कि मैं सही व्यक्ति हूं? यदि आप सोचते हैं आपके पास आपकी बातें हैं, उनके पास उनकी बातें हैं, तो हम सिर्फ इन बातों के जरिए सामंजस्य बैठाकर जीवन बिता सकते हैं।
हमें समझना चाहिए कि रिश्ते अलग-अलग जरूरतों के लिए बनाए जाते हैं। शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, आर्थिक और सामाजिक जरूरतें भी होती हैं। यहां कई तरह की जरूरतें होती हैं। जब आप इतनी सारी जरूरतों के साथ किसी के पास जाते हैं, तब आप भिखारी की तरह जाते हैं और भिखारी चुन नहीं सकता है। भिखारी वो खाता है, जो उसे मिलता है।
यदि वास्तव में इस दुनिया में चुनाव करना चाहते हैं तब सबसे पहली और महत्वपूर्ण चीज यह है कि आप खुद को ऐसी स्थिति में लाएं जहां आपके जीवन का अनुभव लगभग सुखद हो, आप खुद अद्भुत हों, यदि आप वाकई अद्भुद हैं तो चीजें आपके लिए आसान होंगी। करियर, शादी और रिश्तों के मामले में आपके साथ अच्छा होगा। क्योंकि आपने खुद को ऐसा बनाया है। किसी पर मेहनत करने की वजह खुद को इतना सशक्त बनाएं कि हर कोई आपके साथ रहना चाहे फिर आप चुनाव भी कर सकते हैं।
तो क्या सॉलमेट होता है?
यह चीज विदेश से आई है कि कहीं कोई सॉलमेट होता है। शरीर को साथी की जरूरत होती है मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी आपको साथी की जरूरत हो मगर सोल यानी आत्मा को साथी की जरूरत नहीं है। ना ही कोई खास व्यक्ति आपके लिए बनाया गया है। यह प्रकृति हर तरह के मूर्ख बनाती है।
यदि आप समझ लें कि आप एक तरह के मूर्ख हैं और बाकी लोग दूसरी तरह के मूर्ख हैं तो आप उनकी बातों को समझ सकेंगे। यदि आप समझते हैं कि आप परफेक्ट हैं और आपकी ही तरह कोई परफेक्ट हैं तो यकीन कीजिए आप तबाही की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसी कोई चीज नहीं होती है।
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तब आपको जुड़ाव की भावना रखनी चाहिए। एक-दूजे के लिए जैसी बातें ना सोचें। वास्तव में आप खुद से विपरीत चुनते हैं। कुछ समय बाद धीरे-धीरे उम्मीद करते हैं कि वे आपकी तरह हो जाएं। ये बड़ी गलती है। यदि वो भी आपकी ही तरह बन जाएगा तो आप उसे दो दिन भी नहीं झेल पाएंगे। इस धरती पर कोई आपकी तरह नहीं है ये अच्छा है। समानता की तलाश ना करें यह जरूरी नहीं है। फर्क के कारण ही आप जुड़ पाते हैं वरना नहीं।
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