केरल में आई बाढ़ के दौरान कई राहत शिविरों में स्वयंसेवक बनकर आठ दिनों तक वो काम करते हैं, उन्हें कोई नहीं पहचानता था और फिर 9वें दिन उनकी पहचान लोगों के सामने थी और वो हैं दादर और नगर हवेली के वर्तमान जिला कलेक्टर ‘कन्नन गोपीनाथन’।
कन्नन वहां से बिना बताए चुपचाप चले गए। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक लोग बताते हैं कि बाढ़ में प्रभावित लोगों की मदद के लिए आम आदमी के बीच रहने वाले वो अकेले बड़े अधिकारी थे। रिपोर्ट के अनुसार, कन्नन गोपीनाथन 2012 बैच आईएएस अधिकारी हैं जो पुथुपल्ली से हैं, केरल राहत निधि के लिए दादरा और नगर हवेली से उन्होंने 1 करोड़ रुपए एकत्र करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।
राहत शिविरों में किया स्वयं सेवक का काम
32 साल के कन्नन ने राहत शिविर में कार्य करने के लिए पहले व्यक्तिगत छुट्टी के लिए आवेदन किया और राज्य के सबसे खराब प्रभावित क्षेत्रों में से एक चेंगानूर के लिए राज्य संचालित केएसआरटीसी बस द्वारा लगभग 100 किमी की यात्रा की। जब वह एक स्थानीय संग्रह केंद्र पहुंचे, तो उन्होंने तुरंत काम करने में जुट गए, तमाम मुश्किलों के बीच उन्होंने घर खोने वाले विस्थापित लोगों की मदद की।
Thanks to that stern advice, used nothing but bus for transport for one full week in Kerala.
Not only that it wasn’t difficult, it was rather enriching as well.
Covered 5 districts.
And ‘when is the last bus from here’ became my first question at any place. https://t.co/CZH9uxzx6x
— Kannan (@naukarshah) September 4, 2018
कन्नन के ट्विटर के अनुसार, उन्होंने राहत शिविरों की यात्रा के दौरान 5 जिलों को कवर किया, जिनमें आलप्पुषा और एर्नाकुलम शामिल थे।
मनोरमा डेली के एक पत्रकार की ट्विटर पोस्ट के मुताबिक, ‘कन्नन ने एमएसएफ के डॉक्टरों के लिए अनुवादक के रूप में काम किया करते थे और राहत आपूर्ति के लिए आए सामान को उतारने का काम करते थे। उन्होंने पूरे दिन यानी सुबह होने के बाद दिन ढलने तक काम किया करते थे। जब भी कोई उनके बारे में पूछताछ करता तो वो स्वयं को एक एनजीओ में काम करने वाला वर्कर बताते थे।’
#Thread Here’s an incredible story about a young man who was busy with loading and unloading in #KeralaFloods relief centres. Only days later people came to know that he was none other than, Kannan Gopinathan, the Collector of Dadra & Nagar Haveli! (1/n) pic.twitter.com/PICbgoHn70
— Jikku Varghese Jacob (@Jikkuvarghese) September 5, 2018
हालांकि, केरल में उन्होंने नौवें दिन, एर्नाकुलम के केरल बुक्स एंड पब्लिकेशंस सोसाइटी (केबीपीएस प्रेस) कार्यालय में एक संग्रह केंद्र में काम कर रहे थे, तभी वहां उनकी मुलाकात स्थानीय जिला कलेक्टर मोहम्मद वाई सफिरुल्ला से हुई, जिन्होंने कन्नन की पहचान सभी को बताई। सफिरुल्ला, कन्नन के वरिष्ठ अधिकारी हैं, जो वर्तमान में केरल में हैं।
असली नायक इसी जमीन पर हैं
हिंदुस्तान टाइम्स से कन्नन ने कहा कि, ‘यह परोपकार का काम है, मैं यहां सिर्फ एक स्वयंसेवक था, मैं लोगों की मदद कर रहा था। मैं नहीं चाहता कि यह एक कहानी बने। यदि आप मुझे श्रेय देते हैं तो ये ठीक नहीं क्योंकि मेरा यही काम है परोपकार करना। असली नायक इसी जमीन पर हैं, जिन्हें हमें नहीं भूलना चाहिए।’
Was very surprised to hear volunteers at a relief centre speaking in Marathi. Turned out they had travelled all the way from Nashik just to help out Kerala. Many such helping hands. Hats off. 🙏#RebuildingKerala #KeralaFloods pic.twitter.com/RDjn4FYE66
— Kannan (@naukarshah) September 2, 2018
32 साल के आईएएस अधिकारी कन्नन जब मिजोरम की राजधानी आइजोल में पदस्थ थे, तब उन्हें शैक्षणिक कार्यों के लिए भी जाना जाता है। वह प्राकृतिक आपदाओं के बारे में लोगों को सतर्क करने और अपने जिले में बिजली की आपूर्ति की स्थिति जानने के लिए एक मोबाइल ऐप विकसित करने में भी शामिल थे और हालही में उन्होंने दादरा और नगर हवेली में काम करने के दौरान कन्नन ने अपनी व्यक्तिगत छुट्टियां लेने की बजाय केरल में पुनर्वास प्रयासों में मदद की।
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