साल 2014 कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में दिव्या दोरईस्वामी ने एक ऐसा स्टार्टअप शुरू किया, जहां वह 4 से 16 साल के बच्चों को स्काइप और व्हाट्सअप वीडियो के जरिए पढ़ाती हैं। इस पूरे कॉन्सेप्ट को उन्होंने नाम दिया गुरुकुलम/ श्लोका स्कूल जहां वैदिक ग्रंथों के श्लोक कंठस्थ कराए जाते हैं।
दिव्या बताती हैं कि श्लोका स्कूल में 50 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। अमूमन बच्चे भारत के हैदराबाद, बेंगलुरु और यूके, यूएसए व ऑस्ट्रेलिया से हैं। जिस तरह श्लोका स्कूल की क्लास रोचक हैं ठीक इसी तरह यहां हनुमान चालीसा, कृष्ण अष्टकम, हमारे सौर मंडल के ग्रहों पर आधारित श्लोकों का अध्ययन करवाया जाता है। ये सारे श्लोक अंग्रेजी में पेटेंट हैं और संस्कृत-हिंदी-अंग्रेजी भाषा में मौजूद हैं।
दिव्या ब्राह्मण फैमिली से हैं। वह बताती हैं कि उनके घर में वैदिक ग्रंथ और श्लोकों का मंत्रोच्चार हुआ करता था। जिसके कारण उनकी रुचि इसी दिशा में प्रोफेशनली वर्क करने की थी और फिर उन्होंने गुरुकुलम स्कूल की शुरूआत की जहां मोबाइल श्लोका क्लास संचालित की जा रही हैं।
‘एक समय ऐसा भी आया जब मुझे अहसास हुआ कि मेरे जिंदगी में कोई उद्देश्य नहीं था। एक शाम मैंने अपने दोस्तों को श्लोका स्कूल के बारे में बताया और सभी ने मेरे इस स्टार्टअप आइडिया को सराहा।’
साल 2017 के दौरान गुरुकुलम ने अपनी सेवाओं का विस्तार करते हुए कई प्री-स्कूल, डांस-स्कूल और ब्लाइंड स्कूलों में विस्तारित करने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। दिव्या बताती है कि गुरुकुलम स्कूल के पहले वह बेंगलुरु के ट्राफिक और भागती दौड़ती जिंदगी के बीच कई अपार्टमेंट में डांस क्लास और समर एक्टिविटीज करती थीं। इन क्लासेस को ‘मदर-बेबी डुओ क्लास’ कहा जाता है। इस काम में समय ज्यादा लगता था तभी कुछ बच्चों ने श्लोक सीखने की ख्वाहिश जाहिर की और मैनें गुरुकुलम स्कूल की शुरूआत करने का प्लान बनाया।
दिव्या की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव वाले दौर आए लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वह बताती हैं कि एक समय ऐसा भी आया जब मुझे अहसास हुआ कि मेरे जिंदगी में कोई उद्देश्य नहीं था। एक शाम मैंने अपने दोस्तों को श्लोका स्कूल के बारे में बताया और सभी ने मेरे इस स्टार्टअप को सराहा। इस तरह गुरुकुलम की 20 अक्टूबर 2014 में शुरूआत हुई और मैं मोबाइल श्लोका स्कूल की शिक्षिका बनीं।
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