यदि आप किसी को भी ध्यान से सुनते हैं तो उस विषय के बारे में बोलने की क्षमता काफी हद तक बढ़ जाती है। इस बात की पुष्टि कई मनोवैज्ञानिक भी करते हैं। आप क्या सुनते हैं? क्या बोलते हैं ? यह दो प्रश्न किसी की भी जिंदगी में बेहद मायने रखते हैं। जाहिर तौर पर जैसा आप सुनेंगे वैसे ही शब्द आप के दिनचर्या में शामिल होगें और आप वही बोलेंगे।
सुनने के कई फायदे होते हैं, भगवान श्रीराम ने भी रावण के मरने से पहले अनुज लक्ष्मण से ज्ञान की बातें सुनने का आग्रह किया था। यही कारण है सत्संग में सदियों से गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी और ऋषि-मुनियों को सुनने के लिए कई लोग आते थे और वह पौराणिक कथाओं के माध्यम से उन्हें जिंदगी की उन सच्चाई से रूबरू करवाते थे, जो उन्हें जीने की राह दिखाती थी।
सुनने का एक ओर लाजबाव फायदा यह भी है कि जिस भी व्यक्ति की बात को आप सुन रहे हैं उसके बोलने की शैली से चरित्र का भी पता लगा सकते हैं। इस बारे में समुद्रशास्त्र में विस्तार से बताया गया है।
भारत के सफल उद्यमी धीरूभाई अंबानी ने कहा था भीड़ का हिस्सा नहीं भीड़ का कारण बनिए, उन्होंने भी बोलने की काबिलियत पर गौर करते हुए यह बात कही थी, आप यदि अपनी बात को बेहद संजीदगी, आत्मविश्वास, ईमानदारी और सच के साथ कहेंगे तो यकीन कीजिए लोग आपको जरूर सुनेंगे, लेकिन इससे पहले आपको सुनने की कला विकसित करनी होगी और वो सिर्फ और सिर्फ आप आसानी से कर सकते हैं।
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