सिंगापुर में पीएम नरेंद्र मोदी ने शांगरी-ला डायलॉग को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत एवं चीन विश्वास एवं भरोसे के साथ मिलकर काम करेंगे तो एशिया एवं विश्व को लाभ होगा।’
उन्होंने कहा, ‘भारत स्वतंत्र, मुक्त समावेशी हिन्द प्रशांत क्षेत्र के पक्ष में है जो प्रगति एवं समृद्धि की तलाश कर रहे हम सभी लोगों को अपनाता है। हम समुद्र के माध्यम से आपस में हजारों सालों से जुड़े हैं। इसका जिक्र पुराणों में भी है। हिन्द महासागर भारत का इतिहास बताता है। महासागर से 90 फीसदी व्यापार होता है। महासागर हमारे अलग-अलग संस्कृति को भी जोड़ता है।’
कैसे होंगे एक और एक ग्यारह
ऐसा पहली बार नहीं है जब पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन से संबंध सुधारने की पहल की हो, उनके पहले मार्च 2018 में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था, ‘भारतीय हाथी और चीनी ड्रैगन मिल जाएं तो एक और एक ग्यारह हो सकते हैं। उन्होंने कहा था कि चीनी ड्रैगन और भारतीय हाथी को आपस में लड़ना नहीं चाहिए, बल्कि साथ में कदमताल करनी चाहिए।’
भारत-चीन मिले तो हो सकता है कच्चा तेल सस्ता
भारत और चीन दुनिया के 2 सबसे बड़े कंज्यूमर देश हैं। इसके बाद भी कच्चे तेल की खरीद में उन्हें तेल उत्पादक अरब देशों की मनमानी सालों से झेलनी पड़ रही है। इन्हें न केवल तेल की कीमतों पर ऊंचा प्रीमियम चुकाना पड़ता है, बल्कि देश में एनर्जी की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन अब भारत और चीन ने तेल का बड़ा बाजार होने का फायदा उठाकर ही ओपेक देशों पर पलटवार करने का मन बना लिया है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि दोनों देशों की कम्बाइंड बास्केट साइज इस स्थिति में है कि तेल की कीमतों पर ओपेक देशों की दादागिरी खत्म कर सके। ऐसा होता है तो न केवल दोनों देशों की बैलेंस शीट सुधरेगी बल्कि करोड़ों लोगों को ईंधन के लिए ऊंची कीमतें देने से भी छुटकारा मिलेगा। इस तरह कच्चा तेल सस्ता हो सकता है यानी वो दिन दूर नहीं जब पेट्रोल-डीजल के मूल्य तेजी से उतार-चढ़ाव होने में काफी राहत मिलेगी।
दोनों देशों पर भरोसा करते हैं विदेशी निवेशक
हालही में एटी केर्नी एफडीआई कॉन्फिडेंस इंडेक्स में जिक्र किया गया है कि विदेशी निवेशकों के भरोसे के मामले में भारत एक सीढ़ी ऊपर चढ़ा है। लगातार दूसरे साल भारत टॉप-10 में शामिल हुआ है। इस बार देश एक पायदान ऊपर चढ़ सातवें नंबर पर आया है। तेज आर्थिक विकास, टैक्स सुधार और एफडीआई संबंधी नियमों की उदारता का भारत का फायदा मिला है।
तो वहीं, चीन में जब से यह इंडेक्स शुरू हुआ तब से चीन हमेशा टॉप-3 में रहा है। स्थिर अर्थव्यवस्था और सरकार द्वारा लालफीताशाही में भारी कटौती के चलते बीजिंग विदेशी निवेशकों को लुभाता है। इस तरह यह दोनों ही देश विदेशी निवेशकों को लुभाने में कामयाब रहे हैं। यदि भारत-चीन साथ मिलकर काम करते हैं तो इसका फायदा यहां के उद्योगों को मिल सकता है।
‘हैंड टू हैंड’ से चाइनीज फूड तक
भारत और चीन ने 2010 में कुन्मिंग में ‘हैंड टू हैंड’ नामक अपना पहला आतंकवादरोधी अभ्यास संचालित किया था। तो वहीं, कई शताब्दी पहले भारत से ही चीन में बौद्ध धर्म के प्रसार हुआ। चीन में थ्री इडिएट्स, दंगल और बजरंगी भाईजान जैसी बालीवुड की फिल्मों की लोकप्रियता मिली है। इस तरह सदियों से निरंतर सांस्कृतिक सामंजस्य स्थापित होता रहा है और चाइनीज फूड, कैलीग्राफी व चाइनीज भाषा को हर रोज भारत में नए श्रद्धालु मिल रहे हैं।
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