तमिलनाडु का विल्लुपुरम जिला और यहां के एक स्कूल के प्रिंसिपल जो अपने स्कूल के स्टूडेंट्स को हाथ जोड़कर पढ़ने का निवेदन करते हैं। प्रिसिंपल का नाम बालू है, जो 56 साल के हैं। बालू अपने स्कूल में बच्चों के प्रदर्शन से काफी नाखुश थे। क्योंकि 12वीं में पढ़ने वाले सिर्फ 25 फीसदी छात्र ही छमाही परीक्षा में पास हुए। तब उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए यह उपाय सोचा।
वह बताते हैं, ‘जब मैंने रिजल्ट देखा तो मुझे काफी बुरा लगा। मैं उन सभी फेल हुए बच्चों के घर गया और उनके माता-पिता से बात की। एडएक्स लाइव की खबर के मुताबिक मैंने बच्चों के सामने हाथ जोड़कर विनती की कि अच्छे से पढ़ाई करो और आने वाले एग्जाम में बेहतर करो।’ वे पिछले 30 सालों से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। तीन साल पहले उन्हें स्कूल के प्रिंसिपल की जिम्मेदारी मिली।
स्कूल में आते हैं गरीब बच्चे
तो वहीं, मदर टेरेसा और दक्षिण भारत के बड़े समाज सुधारक पेरियार को आदर्श मानने वाले बालू कहते हैं कि बच्चों को सिर्फ प्यार से ही पढ़ाया जा सकता है, मारपीट से नहीं क्योंकि ‘हमारे स्कूल में आने वाले अधिकतर बच्चे पिछड़े और गरीब तबके के होते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती है। उनकी जिंदगी में कुछ खास इच्छाएं नहीं होती हैं। वे पढ़ने के काम को काफी कठिन मानते हैं। आप इन बच्चों के साथ कड़ाई के साथ नहीं पेश आ सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने पर वे पढ़ना ही छोड़ देंगे।’
बालू बताते हैं कि घुटनों के बल किसी छात्र के सामने खड़े होने पर उन्हें बुरा नहीं लगता। उनका तो सिर्फ एक ही मकसद है पढ़ने के लिए बच्चों को राजी करना। वे बताते हैं कि इस तरीके से बच्चे पढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं।
कई बच्चे आते थे शराब पीकर
बालू के स्कूल में पढ़ाई की हालत काफी बदतर है। उन्होंने बताया कि कई बच्चे तो यहां ऐसे थे जो शराब पीकर क्लास में आ जाते थे। लेकिन बालू ने स्कूल की तस्वीर ही बदल दी। एक सच्चे शिक्षाविद की तरह बालू कहते हैं कि बच्चों के साथ धैर्य से पेश आना चाहिए और उन्हें समझने की कोशिश करनी चाहिए तब जाकर उन्हें बाकी की चीजें समझ में आती हैं। उनका कहना है कि बच्चों के साथ जोर-जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। लेकिन बालू अपने स्कूल में पढ़ाने वाले बाकी अध्यापकों से ये तरीका फॉलो करने को नहीं कहते हैं। वे कहते हैं कि सबका पढ़ाने और बच्चों के साथ पेश आने का अपना तरीका होता है। लेकिन टीचरों को बच्चों के साथ विनम्रता रखनी चाहिए।
प्रिंसिपल का मानना है कि इस तरीके से बच्चों में काफी परिवर्तन आया है। कोई भी छात्र अपनी जिंदगी में आगे चलकर कुछ भी करे, लेकिन उसे एक अच्छा इंसान तो होना ही चाहिए। और वे अच्छे इंसान तब बनेंगे जब उनके साथ ऐसा व्यवहार होगा। उनकी पिटाई करने पर उनपर बुरा असर पड़ेगा और उनके अंदर एक तरह की कुंठा पैदा होगी।
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