जब आप समस्याओं में उलझ जाते हैं, तो क्या करते हैं? संभव है… शांत हो जाते हैं या किसी से बात करते होंगे, लेकिन इससे क्या समस्या का हल होगा? जब कि हर समस्या का हल तो आपके पास ही मौजूद है।
सबसे जरूरी बात ये है कि यदि समस्याओं में उलझ जाएं तो कुछ समय के लिए उस समस्या को भुला दीजिए। अगर संभव हो तो 24 घंटे के लिए… आप खुद महसूस करेंगे। आपके पास उस समस्या का बेहतर हल मौजूद होगा। यह हल आपने स्वयं निकाला है।
उलझन से सुलझन तक
प्रकृति ने आपको उलझन से सुलझन कैसी की जा सकती है, यह कई उदाहरणों से बताया है। जैसे कि मकड़ी का जाला, मकड़ी जब शांत, एकाग्रचित्त होकर अपना जाला बुनती है, तो उसमें नहीं उलझती वह तब उलझती है या तो कोई उस जाले का कुछ भाग हटा दे या फिर वह खुद ही शिकार करते समय अपना लक्ष्य भटक जाए।
ऐसा ही इंसान के साथ होता है समस्याएं तब पैदा होती हैं, जब इंसान अपने लक्ष्य से भटक जाता है। वह एकाग्रचित्त न होकर और भी कई तरह के कार्यों में व्यस्त हो जाता है। कहने का मतलब है कि उलझने में चीजें और बिगड़ती है सुलझने का सही फंडा है आप विचार करें, चिंतन करें और खुद पर यकीन… क्योंकि दुनिया की हर समस्या को दूर किया जा सकता है।
श्रीकृष्ण से सीखें कैसे सुलझाते हैं समस्याएं
द्वापरयुग यानी श्रीकृष्ण का समय, उस समय ‘कालयवन’ यवन देश का राजा था। उसे वरदान था कि कोई उसे पराजित नहीं कर सकता है। जब उसे पता चला के सिर्फ श्रीकृष्ण ही उसको पराजित कर सकते हैं, तब कालयवन ने द्वारका पर आक्रमण कर दिया। ऐसे में श्रीकृष्ण कालयवन को देख रणभूमि से एक गुफा की ओर बढ़ चले, जहां मुचुकुन्द नाम के राजा त्रेतायुग से निद्रा में लीन थे।
श्रीकृष्ण की समस्या का हल तब हुआ जब मुचुकुन्द ने आंखें खोलीं और कालयवन जल कर भस्म हो गया। मुचुकुन्द, त्रेता युग के इक्ष्वाकु वंश के राजा थे, जिन्होंने देव-दानव युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और तब उन्हें भगवान ने वरदान दिया कि नींद से जागने के बाद वह जिसे सबसे पहले देखेंगे वो भस्म हो जाएगा। इस तरह श्रीकृष्ण ने दोनों वरदान का मान रखते हुए अपनी उलझन को सुलझन में बदल दिया था।
आखिर करना क्या होगा
अमूमन आपने देखा होगा जब कोई धागा उलझ जाता है, तो आप उसके उस छोर को खोजते हैं, जो सबसे बहार होना चाहिए.. आप धागा सुलझाने के लिए उसे बीच से ही खींचना शुरू नहीं करते हैं। ठीक इसी तरह जब जिंदगी के किसी मोढ़ पर उलझ जाएं तो घटना की शुरूआत से विचार करें और उसके हर छोटे से छोटे पहलू पर गौर करें। आपकी समस्या सुलझ जाएगी, लेकिन ऐसा तभी होगा जब आप ध्यान लगा कर अपने मन को एकाग्र करते हैं और खुद को ऐसी अवस्था में लाते हैं। जहां आपके लिए चीजें स्पष्ट हों जाती हैं कि आखिर करना क्या है। उस स्पष्टता में अपनी जरूरतों पर गौर कीजिए और देखिए कि क्या वे वाकई आपके लिए जरूरी हैं।
Be First to Comment