अमूमन सफल लोग, असफल लोगों की तुलना में कहीं अधिक ज्यादा तनावग्रस्त और पीड़ित होते हैं। सफलता का मतलब यही लिया जाता है कि आप एक ऊंचे स्थान पर हैं। अगर कोई उस जगह बैठने का अधिकारी न हो तो सफलता उसे मार डालती है।
अगर लोग सामाजिक चलन, शैक्षिक योग्यता या पारिवारिक पृष्ठभूमि की वजह से सफल हुए हों तो उन्हें हमेशा कष्ट का सामना करना होगा। अगर आप इस स्थान का आनंद लेना चाहते हैं तो यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सफलता के लिए खुद को पहले आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण बनाएं। यह आपकी मन की चेतना जागृत कर आपको हर तरह की स्थितियों में खुद को मजबूत बनाए रखता है।
लोगों के तनाव और कष्ट का सफलता या असफलता से कोई लेना-देना नहीं है। सद्गुरु बताते हैं कि आप जो काम कर रहे हैं, उसकी वजह से तनाव नहीं हो रहा। तनाव इसलिए है क्योंकि आपने अपने मन और शरीर को बुनियादी रूप से संभालना नहीं सीखा। हर मानवीय अनुभव का एक रसायनिक आधार भी होता है।
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आप इसे तनाव, चिंता, आनंद, परमानंद आदि कोई भी नाम दे सकते हैं, लेकिन हर अनुभव का एक रासायनिक आधार होता है। जिस तरह बाहरी कल्याण के लिए एक विज्ञान है, उसी तरह आपकी आंतरिक रसायनिक संरचना को संभालने के लिए भी पूरा विज्ञान है। योग में ऐसे अनेक तरीके हैं जिनसे आप सही तरह का रसायन पैदा कर सकते हैं ताकि आपको सहज भाव से शांति व आनंद मिल सके।
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