- संजीव शर्मा।
भविष्य में इंसान यदि अपने आपको भगवान घोषित कर दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि उसने अपनी नई और अनूठी खोजों से भगवान की सत्ता को ही सीधी चुनौती दे दी है। किराए की कोख और परखनली शिशु (टेस्ट ट्यूब बेबी) के बाद अब तो वैज्ञानिकों ने बच्चे के आकार-प्रकार में भी परिवर्तन करना शुरू कर दिया है।
इसका मतलब है कि अब घर बैठे डिजाइनर और रेडीमेड बच्चे पैदा किए जा सकेंगे। इसी तरह अपने परिवार के किसी खास सदस्य को भी फिर से बच्चे के रूप में पैदा किया जा सकेगा। यही नहीं, इस दौरान उस व्यक्ति की कमियों को दूर कर उसे पहले से बेहतर बनाकर जन्म दिया जा सकेगा। यदि इसमें कॉपीराइट या पेटेन्ट जैसी कोई बाधा नहीं आई तो घर-घर में आइंस्टीन, महात्मा गांधी, हिटलर, स्वामी विवेकानंद, नेल्सन मंडेला, अमिताभ बच्चन, मर्लिन मुनरो, दाउद इब्राहिम या इसी तरह के अन्य नामी-बदनाम व्यक्तियों को बच्चे के रूप में पाया जा सकेगा।
यहां चेहरा-मोहरा भी एक समान
अब तक तो हमने देश-विदेश में राजाओं के नामों में दुहराव के बारे में खूब सुना है जैसे हमारे देश में बाजीराव प्रथम, बाजीराव द्वितीय या इंग्लैंड में विलियम वन, विलियम टू, हेनरी प्रथम, द्वितीय और तृतीय, लेकिन सोचिए यदि इनके नाम ही नहीं बल्कि रंग-रूप,चरित्र और चेहरा-मोहरा भी एक समान हो जाए तो क्या होगा? देश में सैकड़ों साल तक एक ही बाजीराव या विलियम या हेनरी का शासन बना रहेगा।
कांग्रेस में इंदिरा युग, भाजपा में वाजपेयी-आडवानी या लालूप्रसाद, मुलायम,पासवान जैसे नेता अनंत काल तक बने रहेंगे। सरकारों को भी जेपी, अन्ना हजारे या स्वामी रामदेव के आमरण अनशन से डरने की जरुरत नहीं होगी क्योंकि एक अन्ना के बाद दूसरा अन्ना और एक रामदेव के बाद दूसरा रामदेव तैयार किया जा सकेगा।
दरअसल यह संभव हो रहा है वैज्ञानिकों द्वारा डीएनए में किए गए बदलाव से और यह बदलाव भी ऐसा कि कुदरत के करिश्मे को ही पीछे छोड़ दिया गया है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक जीवशास्त्री ने चूजे के डीएनए में परिवर्तन कर उसकी चोंच को घड़ियालों में पाए जाने वाले थूथन का सा बना दिया है।
उपलब्धि का एक अच्छा पहलू
सामान्य भाषा में इसे घड़ियाल के मुंह वाला चूजा कहा जा सकता है। इसके लिए मुर्गी के अण्डों में एक छेद कर भ्रूण विकसित होने से पहले जिलेटिन जैसे प्रोटीन का एक छोटा सा दाना डाल दिया गया और चूजा घड़ियाल के मुंह वाला हो गया। अब वैज्ञानिकों का दावा है कि डीएनए परिवर्तन में मिली इस सफलता के जरिए मानव शिशुओं में भी जन्म से पहले बदलाव लाए जा सकते हैं। इस उपलब्धि का एक अच्छा पहलू तो यह है कि इससे शिशुओं की जन्मजात विकृतियों को गर्भ में ही ठीक किया जा सकेगा और कोई भी शिशु मानसिक या शारीरिक विकृति के साथ जन्म नहीं लेगा।
कोई भी व्यक्ति दे सकेगा मनचाहा रूप
इस उपलब्धि के सदुपयोग से ज्यादा दुरूपयोग की आशंका है। इसी मामले में देखें तो घड़ियाल के मुंह वाला चूजा अब दाना चुगने तक को तरस जाएगा। यदि मानव के साथ ऐसा हुआ तो सोचिए मानव संरचना के साथ क्या-क्या और किस हद तक खिलवाड़ नहीं हो सकता है। कुदरत द्वारा वर्षों के परिश्रम के बाद तैयार संतुलित मानव शरीर को पैसे, शक्ति और शोध के दम पर कोई भी व्यक्ति मनचाहा रूप दे सकेगा।
यह बात भले ही अभी दूर की कौड़ी लगे लेकिन हो सकता है भविष्य में फिर कोई हिटलर, सद्दाम या इन्हीं की तरह का तानाशाह रोबोट की तरह काम करने वाले मानवों की फौज तैयार कर ले या दुनिया पर हुकूमत का सपना देख रहा कोई सिरफिरा कुदरत पर इस जीत को मानव सभ्यता के लिए अभिशाप में बदल दे।
फीचर फंडा: प्रकृति ने हर जीव जन्तु को बहुत सोच समझ कर बनाया है। इंसान उसके साथ हमेशा से ही प्रयोग करता रहा है, कभी यह प्रयोग सफल होते हैं, तो कभी विभल। सफल होते हैं तो नवनिर्माण होता है और विफल तो विनाश। ऐसे में सिर्फ एक ही रास्ता है और वो यह कि जो कुछ प्रकृति आपके साथ कर रही है होने दो, प्रकृति को बहने दो…क्योंकि जब से आप ऐसा करने लगेंगे प्रकृति भी आपके साथ आपकी हमसफर बनकर वही करेगी जो आप चाहते हैं।
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