प्रतीकात्मक चित्र।
भारत में घरेलू हिंसा के मामले आम नहीं है। ये बेहद संवेदनशील हैं, जिनके बारे में बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन इन्हें रोकने की कोशिश बेहद कम की जाती है। कारण कई हैं। मामला घर का है। घर में आपसी समझ का है। घरेलू हिंसा का अर्थ यहां हिंसा अकेले से नहीं बल्कि शब्दों से हिंसा, मानसिक तनाव से भी है।
भारत में कोरोना वायरस फैलने के कारण इस समय लॉकडाउन है। ऐसे में लोग घरों में हैं। घर में हैं तो घरेलू हिंसा के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है कि जिस दिन से लॉकडाउन हुआ है, तब से पहले की अपेक्षा घरेलू हिंसा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पीड़ित महिलाएं शिकायत कर रही हैं, लेकिन फिलहाल कुछ नहीं किया जा सकता है। घरेलू हिंसा उन महिलाओं के लिए अभिशाप बन गई है, जो इन दिनों 24 घंटे घर में रह रही हैं।
आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा है कि 24 मार्च से लेकर अभी तक उन्हें घरेलू हिंसा की शिकायत करते हुए 69 ईमेल आए हैं और यह आंकड़ा रोज बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि असली आंकड़ा इससे भी ज्यादा होगा क्योंकि आयोग को अधिकतर शिकायतें ईमेल ही नहीं बल्कि डाक के जरिए भी आती हैं। वो कहती हैं कि ऐसे कई शिकायत हैं, जो हमारे पास तक नहीं आती हैं।
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि घरों में मारपीट की करने वाले पुरुष लॉकडाउन में अपनी कुंठा (फ्रस्टेशन) महिलाओं पर निकाल रहे हैं। उन्होंने महिलाओं से कहा है कि वे यह ना समझें कि लॉकडाउन में वे राष्ट्रीय महिला आयोग या राज्य महिला आयोगों को संपर्क नहीं कर सकतीं और जब भी उन्हें कोई शिकायत करनी हो तो वे बेझिझक पुलिस से या महिला आयोग से संपर्क कर सकती हैं।
बहरहाल, यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड 19 के संक्रमण के कारण घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं।
भारत ही नहीं दुनिया के लगभग हर देश में घरेलू हिंसा के मामले सामने आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से कई देश लॉकडाउन की स्थिति में हैं। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक यूके में कोरोना वायरस संक्रमण की शुरूआत से ही घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए 25 से अधिक संगठन सक्रिय हैं।
इन्हीं में से एक संगठन च्यान ने कहा, ‘हमें ये सबकुछ ऑनलाइन ट्रैफिक विश्लेषण से पता चलता है। पिछले महीने की तुलना अभी वेबसाइट पर विजिट करने वालों की संख्या बढ़ गई है। हालांकि घरेलू हिंसा के मामले जानने के लिए जब हम वहां पहुंचे तो पता चला कि लॉकडाउन के कारण ये घटनाएं बढ़ गई हैं।’
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि दुनिया में तीन में से एक महिला अपने जीवनकाल में शारीरिक/यौन हिंसा का अनुभव करती है। यह मानवाधिकार हनन का मामला है, अकेली महिलाएं ही नहीं पुरुष भी घरेलू हिंसा का अनुभव करते हैं। एलजीबीटी समूह के व्यक्तियों में भी घरेलू हिंसा की कल बढ़ती जा रही है। वैश्विक संकट के समय जैसे प्राकृतिक आपदा, युद्ध और महामारी में लिंग आधारित हिंसा का खतरा बढ़ जाता है। एक्सियोस के अनुसार, ‘चीन में स्थानीय हिंसा की संख्या पिछले साल की तुलना में फरवरी में तीन गुना बढ़ गई ती। इसकी सबसे बड़ी वजह थी ‘लॉकडाउन’।’
फ्रांस ने 17 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन किया जो कम से कम 15 अप्रैल तक जारी रहेगा। यहां हालही में दो हत्याओं के साथ महिलाओं के साथ हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। अलजज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने पिछले सप्ताह घरेलू उत्पीड़न की खबरों के बाद सतर्क है। लोगों का कहना है कि कोरोनावायरस संक्रमण रोकने के लिए किए जा रहे कार्यों के कारण इन मामलों में इजाफा हुआ है। यहां घरेलू हिंसा के मालों में यौन हिंसा सबसे ज्यादा है। मारपीट और गलत व्यवहार दूसरे पायदान पर दर्ज किया गया है।
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