- अखिल पाराशर, लेखक चीन के बीजिंग शहर में रहते हैं वो चाइना मीडिया ग्रुप में वरिष्ठ पत्रकार हैं।
चीन के वुहान शहर से शुरू हुए नोबेल कोराना वायरस दुनिया भर में फैल रहा है। लेकिन महामारी फैलने के तुरंत बाद चीन जल्द ही उपचार व दवा, टीके के अनुसंधान, जांच तकनीक व उत्पाद, वायरस का अध्ययन आदि विषयों पर अध्ययन करना शुरू कर दिया और एक महीने से अधिक समय में असर भी देखने को मिला।
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने अनुमान लगाया है कि अप्रैल माह में कुछ टीकों को नैदानिक अनुसंधान या आपात उपयोग में लाया जाएगा। चीनी वैज्ञानिकों ने एआई (Artifical Intelligence) और उच्चस्तरीय कम्प्यूटिंग से वायरस के डीएनए को निश्चित किया और सही समय पर दुनिया के साथ साझा भी किया, जिससे कोविड-19 का उपचार करने में नयी दवाओं और टीकों के अनुसंधान में मदद मिली है।
साथ ही ह्वोशनशान और लेइशनशान दो अस्पतालों के निर्माण में चीनी पेइतो उपग्रह नेविगेशन सिस्टम ने सर्वेक्षण और मानचित्रण कार्य को सुनिश्चित किया। चीन संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए संक्रमित माध्यम को काट रहा है, जो अब तक कारगर उपाय के रूप में देखा गया है।
चीन के संबंधित विभागों ने एआई के जरिए महामारी ग्रस्त क्षेत्रों के लोगों की यात्रा के बारे में पता लगाया है और समय पर घनिष्ट संपर्क मामलों की खोज की और कारगर रूप से वायरस के फैलने के स्रोत को रोका है।
चीनी लोग ऑनलाइन ही काम कर रहे हैं, पढ़ाई कर रहे हैं, शॉपिंग कर रहे हैं, लगभग सभी काम इंटरनेट पर ही हो रहा है। 1.4 अरब आबादी वाला चीनी समाज स्थिर व सुव्यवस्थित हो रहा है। चीन समाजवादी तंत्र की श्रेष्ठता का पूरा प्रसार कर, और विज्ञान व तकनीक को प्रबल हथियार बनाकर इस महामारी के मुकाबले में जरूर विजय पा सकेगा।
क्वांगचो स्थित भारतीय महावाणिज्य दूत सुजीत घोष ने ‘चाइना मीडिया ग्रुप (सीएमजी)’ के साथ ख़ास इंटरव्यू में कहा…
‘आंकड़ों पर नजर डालें तो चीन धीरे-धीरे कोरोनावायरस से उबर रहा है। आंकड़े बताते हैं कि चीन सरकार ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जो कदम उठाये हैं, उनका असर हो रहा है। इस समय चीज़ें सकारात्मक दिशा में जाती दिख रही हैं।’
भारतीय महावाणिज्य दूत सुजीत घोष ने नए कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इस महामारी ने एक अंतर्राष्ट्रीय आयाम अपना लिया है, जिसका निवारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को अंतरराष्ट्रीय जन-स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है, इसके लिए पूरी दुनिया को साथ आना चाहिए।
महावाणिज्य दूत सुजीत घोष ने कहा कि यह कोरोना वायरस नया है और विश्व भर में इसके बारे में जानकारी बहुत कम है। महामारी विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस महामारी के खिलाफ तभी सफलतापूर्वक लड़ पाएंगे जब सभी देश चिकित्सा शोध को एक दूसरे के साथ साझा करेंगे। इसके अलावा, टीकों की खोज, संक्रमित रोगियों का पता लगाना आदि संदर्भ में सभी देशों को मिलजुल कर काम करना होगा।
महावाणिज्य दूत ने यह भी कहा कि महामारी के खिलाफ लड़ाई में चीनी लोगों ने जो दृढ़ संकल्प दिखाया है, वो सराहनीय है। साथ ही, आंकड़ों से भी पता चलता है कि चीन ने जो कदम उठाये हैं, वे असरदार हैं।
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कोरोना वायरस के रोगियों का इलाज करने के लिए चीन ने वुहान शहर में मात्र 10 दिनों में दो अस्पतालों का निर्माण कर दिया और 65 हजार से ज्यादा चीनी डॉक्टर हुपेइ प्रांत गए, इस पर चर्चा करते हुए क्वांगचो स्थित भारतीय महावाणिज्य दूत ने कहा, ‘चीन पूरे विश्व में अपनी अवसंरचना क्षमता के लिए जाना जाता है। जहां तक डॉक्टरों का सवाल है, उनका योगदान सराहनीय है। वे हर जगह अग्रिम पंक्ति (फ्रंटलाइन) पर काम कर रहे हैं। उनके योगदान का जितना भी धन्यवाद किया जाए उतना ही कम है।’
साथ ही उन्होंने क्वांगतोंग विदेश मामलों के कार्यालय का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनके कांसुलेट को क्वांगतोंग विदेश मामलों के कार्यालय से सहायता मिलती है। सभी सूचनाएं साझा की जाती हैं और हरसंभव मदद दी जाती है।
इस समय भारत में भी कोरोना वायरस के कई मामले सामने आये हैं, जिस पर महावाणिज्य दूत सुजीत घोष का कहना है कि भारत इस जानलेवा बीमारी से निपटने में सक्षम है। उन्होंने कहा, ‘हमारी (भारत की) प्रणाली और प्रक्रिया काफी मजबूत है और किसी भी चुनौती के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है। इस रोग की रोकथाम करने के लिए भारत सरकार ने अनेक कार्यक्रम शुरू किए हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय ताजा स्थितियों की निरंतर समीक्षा कर रहा है।
महावाणिज्य दूत सुजीत घोष ने यह भी कहा कि हरेक देश की प्रणाली और चुनौतियां भिन्न होती हैं, इसलिए निवारण भी उनके अनुसार ही होता है। लेकिन यह कोरोना वायरस बिलकुल नया है। चीन में इस महामारी से संबंधित जानकारियां चाहे मेडिकल तौर पर हो, उपचार को लेकर हो, उसके प्रभाव से संबंधित हो, या फिर चिकित्सा शोध के बारे में हो, बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं। यदि ये जानकारियां पूरी दुनिया के साथ साझा की जाती हैं, तो इस चुनौती का अच्छे तरीके से मुकाबला किया जा सकेगा।
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इंटरव्यू के अंत में भारतीय महावाणिज्य दूत सुजीत घोष ने चीन में रह रहे भारतीय लोगों को संदेश भी दिया कि चीन सरकार के स्वास्थ्य निर्देश और आधिकारिक प्रक्रिया का अनुपालन करें, जो बहुत जरूरी है। साथ ही लोगों को घबराने या परेशान होने से बचने और आवश्यकता होने पर भारतीय दूतावास व कांसुलेट से संपर्क करने को कहा। उन्होंने लोगों से सकारात्मक रहने व योगाभ्यास करने की सलाह भी दी।
भारतीय महावाणिज्य दूत सुजीत घोष ने विश्वास जताया कि चीन, भारत और अन्य सभी देश इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में जरूर जीत हासिल करेंगे।
साभार : चाइना मीडिया ग्रुप
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