भारत में धर्म का बिजनेस ‘दिया तले अंधेरा ‘मुहावरे की तरह है, यह कितना बड़ा बिजनेस बन चुका है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां राजनेता ही नहीं बल्कि मीडिया, कॉर्पोरेट जगत की आला कंपनियां भी भागीदार हैं।
हालही में कोबरापोस्ट के स्टिंग ‘ऑपरेशन 136 II’ में इसी तरह का एक बड़ा खुलासा हुआ है। ऐसे में कई बड़ी मीडिया कंपनियां कटघरे में आ गई हैं। कोबरापोस्ट के इस स्टिंग ऑपरेशन में अंडरकवर रिपोर्टर पुष्प शर्मा से सौदेबाजी करते हुए सुना जा सकता है।
पुष्प शर्मा इस बातचीत में खुद को ‘आचार्य छत्रपाल अटल’ के तौर पर पेश करते हैं जो कि बेनाम संगठन के प्रतिनिधि बनकर आए है लेकिन वो ये बताते हैं कि उनका ताल्लुक नागपुर आधारित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से है।
भारत ही नहीं दुनिया है गिरफ्त में
भारत ही नहीं, लगभग पूरे विश्व में जैसे-जैसे धर्म का व्यापार चमक रहा है, धर्म के नाम पर अलगाव भी बढ़ रहा है। धर्म का व्यापार इंटरनेट, टेलीविजन, रेडियो, मोबाइल से किया जाता है। यहां कहा जाता है कि दान दो, और सिर्फ दान दो। धर्म का नाम लेकर कितने ही देशों में लोकतंत्र के सहारे सत्ता में आने की कोशिशें की जा रही हैं।
तो क्या पीएम मोदी भी हैं शामिल?
यदि हम थोड़ा पीछे जाएं यानी साल 2012 में मिट रोमनी ने अमेरिका में ठीक ऐसी ही कोशिश की थीं, जैसी पीएम नरेंद्र मोदी भारत में कर रहे हैं? दुनिया के ऐसे कई देश हैं जो धर्म के कारण लगी आग से झुलस रहे हैं चाहे वह अफगानिस्तान, ईरान या सीरिया हो। यही नहीं, विकसित देशों की जो सरकारें सुरक्षा पर ज्यादा पैसा खर्च कर रही हैं वे धर्म के फैलते आतंक के कारण ही कर रही हैं।
अफ्रीका में स्थिति बेहद चिंताजनक
बीते वर्षों में गौर किया जाए तो अफ्रीकी देश घाना में ईश्वर के नाम पर चल रहा चर्च कारोबार काफी फल फूल रहा है। अफ्रीकी महाद्वीप में इवानजेलिक, पेंटिकोस्टल और केरिसमेटिक चर्च अधिकतर लोगों को आकर्षित करते हैं। अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 के दौरान घाना में करीब 30 लाख इवानजेलिक थे, जिनकी संख्या साल 2015 तक 55 लाख हो गई। पेंटिकोस्टल और केरिसमेटिक की संख्या साल 2000 में 65 लाख थी, जो साल 2015 तक बढ़कर एक करोड़ हो गई है।
अमेरिकी की आर्थिक ताकत है धर्म
अमेरिका में धर्म आर्थिक और सामाजिक ताकत का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। धार्मिक स्वतंत्रता और व्यापार फाउंडेशन द्वारा 2016 के एक अध्ययन के अनुसार, धर्म सालाना 1.2 अरब डॉलर का सामाजिक-आर्थिक मूल्य संयुक्त राज्य अर्थव्यवस्था में योगदान देता है। यह दुनिया की 15 वीं सबसे बड़ी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था होने के बराबर है, जो लगभग 180 अन्य देशों और क्षेत्रों से बाहर है। यह ऐप्पल, एमाज़ॉन और गूगल सहित दुनिया की शीर्ष 10 तकनीकी कंपनियों के वैश्विक वार्षिक राजस्व से अधिक है।
यह अमेरिका की 6 सबसे बड़ी तेल और गैस कंपनियों के वैश्विक वार्षिक राजस्व से 50% से अधिक बड़ा है। ये योगदान तीन सामान्य श्रेणियों में आते हैं धार्मिक मंडलियों से 418 बिलियन डॉलर, विश्वविद्यालयों, दान और स्वास्थ्य प्रणालियों जैसे अन्य धार्मिक संस्थानों 303 बिलियन डॉलर दान किए जाते हैं।
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