संयुक्त राज्य अमेरिका में हाल ही में एक सर्वे हुआ जिसमें पाया गया कि बुजुर्ग लोगों की तुलना में युवा कम धार्मिक हैं। प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे में यह बात सामने आई है।
यह सर्वे दुनिया के कई देशों में किया गया, जिसमें हमारा भारत भी शामिल है। हालांकि भारत में खासतौर पर हिंदुओं के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है यहां बुजुर्ग और युवा दोनों ही धर्म के प्रति आस्था रखते हैं। पिछले दशक में 100 से ज्यादा देशों में प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे में यह बात सामने आई है।
इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक युवाओं के बीच धर्म और धार्मिक अनुष्ठान में दुनिया भर में कमी आई है। इसके अलग-अलग कारण हैं, जिनमें आर्थिक और सामाजिक ये दोनों कारण अधिक देशों में पाए गए हैं।
यहां धर्म जीवन का अभिन्न अंग
धर्म के प्रति युवाओं का कम होता रुझान विकासशील देशों के साथ मुस्लिम बहुल देशों में भी देखा गया है। यहां हिंदू और मुस्लिम की अपेक्षा ईसाई धर्म में अंतर काफी ज्यादा है। सर्वे में 40 साल तक के लोगों को युवा और उसके ऊपर के लोगों को वरिष्ठ माना गया था।
प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए सर्वे में पाया गया कि दुनिया के 106 देशों में से 46 ऐसे देश हैं जहां धर्म उनके जीवन का अभिन्न अंग है। दुनिया में केवल ‘जॉर्जिया’ और ‘घाना’ दो ऐसे देश हैं, जहां के युवा ही नहीं बल्कि बच्चे भी धर्म के प्रति आस्था नहीं रखते हैं, हालांकि यहां मौजूद बुजुर्ग धर्म के प्रति आज भी उतनी आस्था रखते हैं, जितनी पहले रखते थे। जो औसतन अपने बुजुर्गों की तुलना में अधिक धार्मिक हैं।
धर्म के प्रति युवा कम आसक्त
दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जहां के युवा धर्म के प्रति कम आसक्त हैं। ज्यादातर यूरोप और अमेरिका में यह स्थितियां देखी जा गई हैं। यहां की ज्यादा आबादी ईसाई धर्म को मानती है। सर्वे में इसे बेहतर तरह से समझाने के लिए हर देश को अंक दिए गए हैं। जैसे कि कनाडा में यह अंतर 28 अंक के पायदान पर है तो दक्षिण कोरिया (24 अंक), उरुग्वे (18 अंक) और फिनलैंड (17 अंक) पर है, यह अंक यहां मौजूद युवाओं का धर्म के प्रति रुझान प्रदर्शित करते हैं।
युवा और बुजुर्ग देते हैं समान महत्व
इस सर्वे में पाया गया है कि कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में यह अंतर दूसरे देशों की अपेक्षा आम है, जहां सदियों से बुजुर्ग और युवा दोनों ही धर्म के प्रति एक समान आस्था रखते हैं। उदाहरण के लिए, लैटिन अमेरिका और कैरीबियाई में हुए सर्वे के मुताबिक यहां आने वाले क्षेत्रों में 14 से 40 साल के युवाओं का कहना था कि उनकी जिंदगी में धर्म महत्वपूर्ण हैं।
दूसरी तरफ, उप-सहारा अफ्रीका में, जहां धार्मिक प्रतिबद्धता का स्तर दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। सर्वे में 21 ऐसे देश भी हैं जहां धर्म के महत्व को बुजुर्ग और युवा दोनों ही समान महत्व देते हैं।
धर्म के मामले में हिंदू युवा हैं बेहतर
कुछ धार्मिक समूहों में दूसरों की तुलना में आयु अंतराल भी अधिक आम है। उदाहरण के लिए, दुनिया भर के सभी देशों के लगभग आधे देशों में युवा ईसाई वयस्कों के लिए धर्म कम महत्वपूर्ण है।
मुस्लिम देशों में हुए सर्वेक्षण के लगभग एक-चौथाई देशों में इस तरह के मामले सामने आए हैं। बौद्ध धर्म में युवा काफी कम धार्मिक हैं। लेकिन वह धर्म को फॉलो कर रहे हैं। हालांकि यूएस और इज़राइल में यहूदियों, और अमेरिका और भारत में हिंदू युवाओं के बीच इस तरह का अंतर देखने को नही मिलता है। यानी अच्छी खबर यह है कि यहां आज भी युवा धर्म के प्रति आस्था रखते हैं।
तो क्या इसलिए धर्म से दूर जा रहे युवा?
- सामाजिक वैज्ञानिकों का मानना है कि दुनिया भर में धार्मिक प्रतिबद्धता के प्रति युवाओं में यह अंतर इसलिए तेजी से कम हो रहा है क्योंकि नई पीढ़ी आर्थिक विकास के साथ आधुनिकता के प्रति ज्यादा आसक्त है।
- शिक्षा का बढ़ता स्तर है जिसके बारे में सिद्धांतविदों ने यह मत सही माना है। उनका मानना है कि आधुनिक शिक्षा धार्मिक पहचान कम कर सकती है, हालांकि शिक्षा और धर्म के बीच संबंधों के बारे में अनुभवी लोगों के निष्कर्ष जटिल हैं। दुनिया के लगभग हर देश में शिक्षा को लेकर वहां की सरकार गंभीर हैं।
- एक और सिद्धांत यह है कि धार्मिक प्रतिबद्धता में मतभेद जीवन के दौरान परिवर्तन को दर्शाते हैं। हालांकि युवा और बुजुर्ग में अंतर इसलिए है कि बुजुर्ग बहुत कम उम्र में ईश्वर के प्रति आसक्त हो गए और बच्चे युवा होने के बाद भी धर्म को बेहतर तरह से समझने की कोशिश नहीं करते हैं।
- ये स्पष्टीकरण पारस्परिक रूप से अलग नहीं हैं। आज के दौर में यह संभव बिल्कुल नहीं कि युवा कम उम्र में अधिक धार्मिक हो जाएं, लेकिन पिछली पीढ़ियों से जब-जब तुलना होगी वह उनकी अपेक्षा कम ही धार्मिक होंगे।
Graphic courtesy: Pew Research Center
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