अगर हम एक अधिक सौम्य और विवकेशील समाज बनाना चाहते हैं तो उसके लिए हमें एक सौम्य अर्थव्यवस्था चाहिए। अर्थव्यवस्था तभी मजबूत होगी, जब केंद्र सरकार ऐसी नीतियां बनाए और उनका क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर बेहतर तरीके से करे, जिसमें जनमत भी सहमत हो ताजा मामला किसान कानून को लेकर है।
26 जनवरी, 2021 को हुई किसान ट्रैक्टर रैली समर्थकों और नेताओं द्वारा शांतिपूर्ण बताई जा रही थी, लेकिन यहां जो हिंसा हुई, वो तस्वीरें कई माध्यमों के जरिए देश के सामने थीं। कई तरह की अफवाहें फैलती रही, फैलाने वाले कौन-थे? कोई नहीं जानता, जो जानता है वो चुप है। किसान नेता राकेश टिकैत टीवी चैनलों पर कहते सुने जा सकते थे कि उन्होंने हिंसा करने वाले लोगों को चिन्हित किया है, सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक वीडियो में वो खुद हिंसा उकसाने की बात करते नजर आ रहे थे।
बहरहाल, गणतंत्र दिवस पर हुई इस ट्रैक्टर रैली में लाल किले पर तिरंगे को हटाकर दूसरा झंडा फहराने वाला घटनाक्रम निंदनीय है। निंदनीय कई वजह से है पहला यह कि जब रैली शांतिपूर्ण तरीके से कहने की बात थी, तो राष्ट्रीय त्योहार पर राष्ट्रीय धरोहर और राष्ट्रीय ध्वज का अपमान क्यों किया गया?
इस घटनाक्रम पर देश के संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने ट्वीट किया, ‘लालकिला हमारे लोकतंत्र की मर्यादा का प्रतीक है,आन्दोलनकारियों को लालक़िले से दूर रहना चाहिए था।इसकी मर्यादा उलंघन की मै निंदा करता हूं ।यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है’।
प्रदर्शनकारियों ने कई बसें और गाड़ियां तोड़ीं, तो वही, दूसरी ओर किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि जिन ट्रैक्टरों का नुकसान पुलिस ने किया है उसकी भरपाई दिल्ली पुलिस को करनी होगी। तो वहीं, किसान नेता योगेन्द्र यादव शर्मिंदगी का अहसास की बात करते हुए हिंसा की जिम्मेदारी लेने की बात कही।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने ट्रैक्टर परेड के लिए पूर्व निर्धारित शर्तों पर बनी सहमति का पालन नहीं किया और हिंसा तथा तोड़फोड़ की जिसमें अनेक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। पुलिस बल ने रैली की शर्तों के अनुपालन के लिए सभी प्रयास किए, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने निर्धारित समय से काफी पहले ही अपना मार्च शुरू कर दिया और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया। दिल्ली पुलिस का बयान तब आया है जब राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसक दृश्य देखने को मिले।
एक हिंदी टीवी चैनल के मुताबिक संयुक्त किसान मोर्चा के कुछ नेताओं का कहना है कि सोमवार रात के बाद से 26 जनवरी, मंगलवार सुबह तक उनके मंच पर कई अराजक तत्वों ने कब्जा कर लिया था। इन अराजक लोगों ने किसानों को रूट को लेकर भड़काया और कहा कि ‘हमारा रूट- रिंग रोड।’
इस पूरे घटनाक्रम को यदि विस्तार से देखें तो कई सवाल उठाए जा सकते हैं। लेकिन ये हिंसा क्यों हुई इसकी सबसे बुनियादी वजह है केंद्र सरकार का किसान विरोधी कानून (जैसे कि किसान कानून को कहते हैं) कई महीनों से किसान आंदोलन जारी है। सरकार उनकी मांग सुनती है लेकिन कोई निराकरण करने में अभी तक सफल नहीं हुई है।
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यदि समय रहते केंद्र सरकार किसानों और सरकार के बीच समझौता कर पाने में सफल होती है तो 26 जनवरी, 2021 को लाल किले कि प्रचीर पर हुए अशोभनीय घटनाक्रम और कई लोगों को हिंसा की चपेट में आने से बचाया जा सकता था।
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