- सुरुचि अग्रवाल
भारतीय राजनीति के अजातशत्रु ने इस दुनिया को 16 अगस्त 2018 को अलविदा कह दिया था। यूंही उन्हें भारतीय राजनीति का भीष्म पितामह कहा गया, उनमें हिमालय जैसी अडिगता भी थी और गंगा का बहाव भी था।
शायद यही वजह है कि अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश की कड़ी निगरानी के बावजूद भारत ने सफल परमाणु परीक्षण को अंजाम दिया और दुनिया देखते ही रह गई। 11 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में तीन बमों के सफल परीक्षण के साथ भारत न्यूक्लियर स्टेट बन गया। ये देश के लिए गौरवान्वित कर देने वाला पल था। जिसके प्रणेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी जी।
यह और बात है कि बाद में भारत को कई आर्थिक प्रतिबंध की मार झेलनी पड़ी, लेकिन अटलजी अटल रहे। अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगाए तो अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि ‘अपने आत्मसम्मान के लिए हमने फैसला लिया और किसी के आगे झुकेंगे नहीं’।
जब सदन में अटलजी पर इस परीक्षण को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए तो अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में कहा था, ये आश्चर्य की बात है कि परमाणु परीक्षण पर सवाल पूछा गया कि देश के सामने कौन सा खतरा था। 1974 में मैं सदन था जब इंदिरा गांधी के नेतृत्व में परमाणु परिक्षण किया गया था। हम प्रतिपक्ष में उसके बाद भी हमने स्वागत किया था, क्योंकि देश की रक्षा के लिए परमाणु परीक्षण किया गया था।
उन्होंने कहा कि उस समय कौन सा खतरा था। आत्मरक्षा की तैयारी क्या तभी होगी जब खतरा होगा। तैयारी पहले से होनी चाहिए ताकि जो खतरा आने वाला होगा वो भी दूर हो जाएगा। खतरा अमल में नहीं आएगा इसीलिए हमने परमाणु परीक्षण करने का काम किया। ये कोई छुपी और रहस्य की बात नहीं है।
– लेखिका पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिए हैं।
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