लुंबिनी भगवान बुद्ध की जन्म स्थली है। यह भारत के बिहार राज्य की उत्तरी सीमा के नजदीक वर्तमान नेपाल में स्थित है। उत्तर प्रदेश के ‘ककराहा’ नामक गांव से लुंबिनी 14 मील दूरी पर है। इस स्थान पर सम्राट अशोक द्वारा स्थापित ‘अशोक स्तम्भ’ में ब्राह्मी लिपि में बुद्ध का जन्म स्थान होने का वर्णन एक शिलापत्र में किया गया है, जो आज भी मौजूद है।
गौतम बुद्ध की शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म पल्लवित हुआ। उनका जन्म लुंबिनी शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी मां का नाम महामाया था, जो कोलीय वंश से थी। गौतम बुद्ध के जन्म के सात दिन बाद मां का निधन हो गया, उनका पालन मौसी महाप्रजापती गौतमी ने किया।
सिद्धार्थ ने विवाह के बाद अपने नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश में घर और राज्य छोड़ दिया। वर्षों की कठोर साधना के बाद भारत के बिहार राज्य में स्थित बोध गया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बन गए।
सदियों से प्रज्वलित है यह शांतिदीप
सुमिता लांबा काठमांडू में रहती हैं वह पेशे से रेडियो नेपाल में जर्नलिस्ट हैं, वह बताती हैं कि, आप चाहें किसी भी देश में रहते हों, लेकिन लुंबिनी अपने जीवन में एक बार जरूर आएं। यहां आपको आध्यात्मिक शांति का अनुभव मिलेगा, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। यहां पिछले 33 साल से शांतिदीप प्रज्वलित है। इस शाश्वत दीपक को 1 नवंबर, 1986 में नेपाल के शाही परिवार के ज्ञानेंद्र बीर बिक्रम शाह देव ने विश्व में शांति के लिए प्रज्वलित किया था।
यह शांतिदीप विश्व में शांति का स्वरूप है, जो कभी नहीं बुझता है। समय-समय पर इस शांतिदीप के संरक्षक जोकि मायादेवी मंदिर सें सबंधित रहते हैं। इसमें घी की मात्रा को कम नहीं होने देते हैं। बुद्ध शांति के प्रवर्तक थे और शांतिदीप उनकी ही शिक्षा को दर्शाता है।
Video Courtesy: Chetan Pant
यहां मिल चुके हैं बुद्ध के जन्म से संबंधित साक्ष्य
साल 2013 नेपाल के लुंबिनी में गौतम बुद्ध के बारे में अधिक जानने के लिए उत्तखनन का कार्य आरंभ किया गया था। लुंबिनी में स्थित माया देवी मंदिर में खुदाई के दौरान शहतीर मिली जो ईसा से 600 साल पहले की है। बौद्ध विहार में एक पेड़ था। यह खोज उस किंवदंति की पुष्टि करती है, जिसमें कहा जाता है कि बुद्ध का जब जन्म हुआ, तब उनकी मां ने पेड़ की एक शाखा को पकड़ रखा था। संभवतः यह पेड़ वही था।
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