चुनावी मौसम में, भारतीय जनता पार्टी पिछले पांच वर्षों में पार्टी की प्रमुख सफलताओं में से एक, ‘प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई)’ का दावा कर वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रही है, लेकिन हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में पाया गया है कि आज भी अधिकांश ग्रामीण खाना पकाने के लिए ठोस ईंधन (लकड़ी और कोयला) पर निर्भर है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि धुएं के संपर्क में आने वाले लोगों को स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां हो रही हैं तो वहीं पर्यावरण के लिए भी यह हानिकारक है।
क्या कहती है रिपोर्ट
यह रिपोर्ट इंस्टीट्यूट फॉर कम्पैसिनेट इकोनॉमिक्स ने जारी की है, जिन्होंने ग्रामीण बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कुल 85% उज्ज्वला लाभार्थी के बीच जाकर सर्वे किया और पाया कि यहां आज भी लोग खाना पकाने के लिए ठोस ईंधन पर निर्भर रहते हैं।

रिपोर्ट 2018 के अंत में तक का डाटा पेश करती है और इसने चार राज्यों के 11 जिलों में 1,550 घरों के लोगों से बाचतीत की है। इन राज्यों में देश की ग्रामीण आबादी का दो-तिहाई हिस्सा रहता है।
क्या है फ्लैगशिप योजना
फ्लैगशिप योजना 2016 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य देश के ग्रामीण परिवारों को मुफ्त गैस सिलेंडर प्रदान करके एलपीजी कनेक्शनों पर सब्सिडी दी जाती है। यह योजना बीपीएल परिवारों के लिए है, जिसमें प्रत्येक एलपीजी कनेक्शन के लिए सरकार 1,600 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि योजना के जरिए छह करोड़ से अधिक परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन मिला है।

इंस्टीट्यूट फॉर कम्पैसिनेट इकोनॉमिक्स के अध्ययन से यह भी पता चलता है कि चार राज्यों में एलपीजी कनेक्शन वाले घरों की संख्या में भी पर्याप्त वृद्धि देखी है। इन राज्यों में अब कुल 76% घरों में गैस कनेक्शन है।

Graphic Courtesy: riceinstitute

हालांकि बीपीएल परिवारों को दिए जाने वाले मुफ्त एलपीजी कनेक्शनों की संख्या पटरी पर है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ‘प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई)’ के तहत नए कनेक्शनों को लगातार उपयोग में लिया जा रहा है? क्यों कि बाद के सिलेंडरों की लागत का खर्च बीपीएल परिवार को देना होता है।
सर्वे से क्या पता चला
- सर्वे में पाया गया है कि केवल 27% उत्तरदाताओं ने विशेष रूप से पिछली रात खाना पकाने के लिए गैस ओवन का उपयोग किया, जबकि 37% ने उत्तर दिया कि स्टोव और चुल्हा दोनों का उपयोग किया जाता है। 36% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने चुल्हा का उपयोग करके रोज भोजन पकाया है।
- रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उज्जवला लाभार्थी गरीब हैं, औसतन उन परिवारों की तुलना में जिन्हें अपने दम पर रसोई गैस मिली। सिलेंडर को रिफिल करना उनके मासिक उपभोग का एक बड़ा हिस्सा है, और सिलेंडर खाली होने के तुरंत बाद उन्हें रिफिल मिलने की संभावना कम हो सकती है।’
- Rice institute की रिपोर्ट यहां पढ़ें…
- इसके अलावा, सर्वेक्षण में ग्रामीण भारत में व्याप्त लैंगिक असमानताओं को उजागर किया गया। लगभग 70% परिवार ठोस ईंधन पर कुछ भी खर्च नहीं करते हैं यानी महिलाओं के लिए गोबर केक बनाना अधिक संभव है, जबकि पुरुष लकड़ी काटते हैं।
- सर्वे में जब उत्तरदाताओं ने महसूस किया कि गैस स्टोव पर खाना बनाना आसान था, उनकी राय थी कि चुल्हा पर पकाया गया भोजन स्वादिष्ट होता है।
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