- डॉ. वेदप्रताप वैदिक।
भारत जातिवाद से ग्रस्त वो देश है जहां शिक्षित लोग भी जातिवाद को उतना महत्व देते हैं जितना अशिक्षित यह अमूमन दिनचर्या का हिस्सा सा बना हुआ है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में चुनाव भी जातिवाद के इर्द-गिर्द होते हैं। दफ्तर, सार्वजनिक स्थल, मंदिर लगभग हर जगह जातिवाद के दंश ने भारतीय समाजिक व्यवस्था में इतना प्रभावित किया है कि भारत को अब बांग्लादेश जैसे देश से सीख लेनी चाहिए।
दरअसल, हम भारतीय लोग अपने पड़ौसी देशों के बारे में सोचते हैं कि वे हम से बहुत पिछड़े हुए हैं। हमसे क्षेत्रफल और जनसंख्या में तो वे छोटे हैं ही लेकिन वे शिक्षा, चिकित्सा, भोजन, विदेश-व्यापार आदि के मामलों में भी भारत की तुलना में बहुत पीछे हैं।
खास तौर से बांग्लादेश के बारे में तो यह राय सारे देश में फैली हुई है, क्योंकि बांग्लादेशी मजदूरों को तो भारत के कोने-कोने में देखा जा सकता है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ताजा रपट तो हमारे सामने दूसरा नक्शा पेश कर रही है। उसके अनुसार इस वर्ष बांग्लादेश का प्रति व्यक्ति समग्र उत्पाद (जीएसटी) भारत से थोड़ा ज्यादा है। 2020-21 में बांग्लादेश का प्रति व्यक्ति समग्र उत्पाद 1888 डॉलर होगा जबकि भारत का 1877 डालर रहेगा।
पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था निरंतर आगे बढ़ती रही है। 2019 में वह 8.2 बढ़ी थी। इस वर्ष भी बांग्ला अर्थव्यवस्था 3.8 प्रतिशत बढ़ेगी जबकि भारतीय अर्थ व्यवस्था 10.3 प्रतिशत घटेगी। कोरोना की महामारी का उल्टा असर तो भारत को पीछे खिसका ही रहा है, मोदी सरकार की नोटबंदी जैसी अन्य कई भूलें भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। इसमें शक नहीं है कि पिछले छह वर्षों में भारत की अर्थ-व्यवस्था ने कई छलांगें भरी हैं और वह पड़ौसी देशों के मुकाबले काफी आगे रही है लेकिन आज बांग्लादेश कई मामलों में हमसे कहीं आगे है।
जैसे बांग्लादेशी नागरिकों की औसत आयु भारतीयों से 3 वर्ष ज्यादा है। जनसंख्या बढ़ोतरी के लिए मुसलमानों को बदनाम किया जाता है लेकिन बांग्लादेश में जन्म-दर की रफ्तार सिर्फ 2 है जबकि भारत में वह 2.2 है। इसी तरह कई अन्य मामलों में बांग्लादेश हमसे आगे हैं।
बांग्लादेश की इस प्रगति से ईर्ष्या करने की जरुरत नहीं है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था उससे लगभग 11 गुना बड़ी है लेकिन उससे हमें कुछ सीखने की जरुरत जरुर है। बांग्लादेश ने अभी अभी बलात्कार के लिए मृत्युदंड का कानून बनाया है। वह आतंकियों के साथ भी काफी सख्ती से पेश आता है।
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बांग्लादेशी लोग बेहद मेहनतकश हैं। वहां हमारे समाज की कमजोरियां कम ही हैं। वहां के लोग जातिवाद से उतने ग्रस्त नहीं हैं, जितने हम हैं। बौद्धिक कामों के मुकाबले वहां शारीरिक कामों को एक दम घटिया नहीं माना जाता।
बांग्लादेश के कपड़े सारी दुनिया में गर्म पकौड़े की तरह बिकते हैं। ढाका की मलमल सारी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ करती थी। भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध अन्य पड़ौसी देशों के मुकाबले ज्यादा अच्छे हैं लेकिन चीन भी वहां हर क्षेत्र में घुसपैठ की पूरी कोशिश कर रहा है। बांग्लादेश की प्रगति से सबसे ज्यादा सबक पाकिस्तान को लेना चाहिए, जिसका वह 1971 तक मालिक था।
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