168 साल पहले देश के इतिहास में 22 दिसंबर, 1851 का वो दिन बहुत खास था। वजह थी उस दिन भारत में पहली बार मालगाड़ी ने पटरी पर रफ्तार पकड़ी थी। यह मालगाड़ी रुड़की से पिरान कलियर के बीच चलाई गई। यह रेलवे लाइन ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे ने बनाई थी। इस गाड़ी से रुड़की में किसानों के लिए मिट्टी और कंस्ट्रक्शन का सामान भेजा गया था।
साल 2002 में प्रकाशित द हिंदू कि एक रिपोर्ट में एक किताब के हवाले से बताया गया है कि, ये रेल एक मालगाड़ी थी, जो रुड़की से पिरान कलियर के बीच चलाई गई थी। इसलिए तकनीकी तौर पर आप ये कह सकते है कि भारत में रेल युग की शुरुआत 1851 में हुई थी।
अंग्रेजी के इस प्रतिष्ठित अखबार ने इस रिपोर्ट के साथ आईआईटी रुड़की के तत्कालीन डायरेक्टर प्रेमव्रत इंटरव्यू भी प्रकाशित किया, जिसमें प्रेमव्रत ने बताया था कि अंग्रेज़ लेखक पीटी कौटले की एक किताब ‘रिपोर्ट ऑन गंगा केनाल’ लिखी, जो 1860 में प्रकाशित हुई थी, उसमें मालगाड़ी का जिक्र किया था।
आईआईटी रुड़की की लाइब्रेरी में आज भी ये किताब मौजूद है। किताब के अनुसार साल 1851 में किसानों की सिंचाई की समस्या को दूर करने के लिए अंग्रेज़ों ने एक नहर बनाने का प्लान बनाया था। गंगा नदी से निकलने वाली इस नहर को बनाने के लिए बहुत सी मिट्टी की जरूरत थी।
इस मिट्टी को पिरान कलियर से 10 किलोमीटर दूर रुड़की तक ले जाने के लिए मुख्य इंजीनियर थॉम्पसन ने इंग्लैंड से रेल इंजन मंगवाया था। इस इंजन के साथ दो बोगियां जोड़ी गई थीं, जो 180-200 टन का वजन ले जाने में सक्षम थीं।
किताब के अनुसार, तब ये ट्रेन 10 किलोमीटर की इस दूरी को 38 मिनट में तय करती थी। यानी इसकी रफ़्तार 4 मील प्रति घंटे थी। ये तकरीबन 9 महीनों तक काम करती रही, जब तक एक दुर्घटना में उसके इंजन में आग नहीं लग गई। लेकिन तब तक नहर का काम भी पूरा हो चुका था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 277,987 मालगाड़ी हैं। इनमें डीजल और इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव दोनों ही गाड़ियां हैं, जिनका उपयोग माल ढुलाई द्वारा किया जाता है। भारत में मालगाड़ियों की औसत गति लगभग 24 किमी/ प्रति घंटा है।
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ब्रॉड गेज रेलवे लाइन का इस्तेमाल माल ढुलाई के लिए किया जाता है और माल ढुलाई का 100% उत्पादन होता है। आईआर की माल परिवहन सेवा भारत की लंबाई और चौड़ाई तक पहुंचने के लिए जिंसों के लिए जिम्मेदार है। तो वहीं, बिहार के रक्सौल और नेपाल के बीरगंज के बीच अंतर्राष्ट्रीय माल सेवा लिंक मौजूद हैं। भारत में नए समर्पित माल गलियारों के 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है।
वेम्बनाड रेल ब्रिज भारत का सबसे लंबा रेल पुल है, जिसकी लंबाई 4.62 किलोमीटर है और यह केवल माल परिवहन के लिए समर्पित है। स्वर्णिम चतुर्भुज फ्रेट कॉरिडोर, भारत रेलवे के माल ढुलाई का 55% हिस्सा है। भारतीय माल सेवा घर 12,000 एचपी के साथ 800 इलेक्ट्रिक इंजन है जो दुनिया में सबसे बड़ा है।
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