Image Courtesy: Unenvironment.org
हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां मोटापा, हिंसा और प्रदूषण जैसे मानवीय समस्याओं से हमें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट से पता चलता है कि पर्यावरण प्रदूषण के चलते हर साल दुनिया में 9 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक पर्यावरण आउटलुक (GEO) द्वारा 740 पृष्ठ के डोजियर रिपोर्ट तैयार करने में छह साल लगे। जिसमें कहा गया कि दुनिया भर में होने वाली सभी अकाल मौतों और बीमारियों का कारण एक चौथाई प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षति के कारण होता है।
प्रदूषित पेयजल और पारिस्थितिक तंत्र का विनाश वो प्रमुख मुद्दे हैं जो दुनिया भर के शहरों की दुर्दशा को बयां कर रहे हैं। अमीर और गरीब देशों के बीच बढ़ती खाई, विकसित दुनिया में अत्यधिक खपत के कारण प्रदूषण के कारण गरीबी और बीमारी होती है।
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रिपोर्ट कहती है कि पीने के पानी की खराब गुणवत्ता 1.4 मिलियन लोगों को कई तरह के रोग के लिए जिम्मेदार है। अकेले गंभीर वायु प्रदूषण से सालाना 6-7 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
क्या आप जानते हैं?
- वायु प्रदूषण अकेले दिल्ली को प्रभावित नहीं करता है, यह देश के अन्य शहरों के साथ बेंगलुरु में पिछले दशक में पीएम 10 का स्तर 46% बढ़ा है।
- देश की राजधनी दिल्ली में दिल्ली सरकार ने शहर में वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए 375 इलेक्ट्रिक बसों के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किए हैं।
- हमें हानिकारक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए 1.2 ट्रिलियन पेड़ लगाने की जरूरत है और पृथ्वी को फिर से स्वस्थ बनाना है।
रिपोर्ट बताती है कि भोजन में एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग से दवा प्रतिरोधी सुपरबग्स का निर्माण हो रहा है और ये समय से पहले होने वाली मौत का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है।
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साल 2015 में, विश्व के नेता पेरिस जलवायु समझौते के साथ आए थे, जिसने वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए प्रत्येक देश में उत्सर्जन में कटौती का वादा किया था। एक बढ़ती हुई सहमति है कि जलवायु परिवर्तन अरबों के जोखिम में डालने के लिए निर्धारित है।
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रिपोर्ट के साथ नीति निर्माताओं को एक नोट में कहा गया है, ‘इस स्थिति को उलटने के लिए एक अभूतपूर्व पैमाने पर तत्काल कार्रवाई आवश्यक है।’ तो वहीं, GEO के सह-अध्यक्ष प्रोफेसर जॉयेटा गुप्ता ने कहा, ‘यदि आपके पास एक स्वस्थ ग्रह है, तो यह न केवल वैश्विक जीडीपी का समर्थन करता है, बल्कि यह सबसे गरीब लोगों के जीवन का भी समर्थन करता है, क्योंकि वे स्वच्छ हवा और स्वच्छ पानी पर निर्भर हैं।’
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