भक्त बहुत बुद्धिमान होता है। उनमें जीवन का भाव बहुत गहराई तक होता है, क्योंकि भक्त को यह बात समझ आ गई होती है कि सबसे महत्वपूर्ण चीज आनंद में रहना है। अगर आप जीवन के इस अनुभव को खूबसूरत बना लें, आप दिन के 24 घंटे खुश रह सकें, जीवन भर आनंद में रह सकें तो कोई भी चीज आपको फंसा नहीं सकती। हर चीज आपको मुक्त ही करेगी। ऐसे लोगों को यह बात अच्छी तरह समझ आ जाती है। उनके भीतर जबर्दस्त बुद्धिमानी होती है।
भक्त की ये बात किसी समझदार व्यक्ति को अतार्किक और बेवकूफी भरी बात लगे, लेकिन सच यही है कि ऐसे लोगों की समझ बड़ी गहरी होती है। यह ऐतिहासिक तथ्य है कि किसी और तरीके के मुकाबले भक्ति के मार्ग से लोगों ने परम तत्व को ज्यादा हासिल किया है।
भक्ति परमतत्व पाने के लिए सबसे तेज और कामयाब तरीका है। समस्या यही है कि ऐसे लोग समाज के बाकी लोगों को सनकी नजर आते हैं। अगर आपको सनकी नजर आने में कोई दिक्कत नहीं है या आपको यह अहसास हो गया है कि आप सनकी ही हैं तो फिर भक्त बनने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
भक्ति आपका विकास करती है। यदि आप नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं तो दिक्कत यही है कि इन्हें लेने से मन और शरीर दोनों पर ही बुरा असर होता है। आपकी शारीरिक क्षमताएं कम हो जाएंगी, आपकी मानसिक क्षमताएं भी कम हो जाएंगी।
एक इंसान के तौर पर आपका विकास नहीं होता, बल्कि आप बर्बाद हो जाते हैं। दूसरी तरफ भक्ति आपका विकास करती है। जो आपने सोचा भी न था, आप उन चीजों को भी कर पाते हैं क्योंकि अब आपकी सीमाएं खत्म हो गई हैं। भक्त भी भक्ति में पागल रहता है, लेकिन वह कभी किसी इमारत से नहीं कूदेगा।
- मार्गदर्शन / स्किल और डिग्री भी, फिर क्यों नहीं है ‘बेरोजगारी’ का समाधान
- जुनून / ये दो विकल्प भयंकर बेरोजगारी में बन सकते हैं तारणहार
सद्गुरु कहते हैं कि 60 के दशक में अमेरिका में कई लोगों के साथ ऐसा हुआ। लोगों ने ऊंची-ऊंची इमारतों से छलांग लगा दीं, क्योंकि उन्होंने एलएसडी लिया हुआ था और उन्हें ऐसा लगता था कि वे उड़ सकते हैं। एक भक्त को भी ऐसा अहसास होता है, लेकिन वह कभी भी इमारतों से छलांग नहीं लगाता। क्योंकि उसका शरीर और मन दोनों ही ठीक से काम कर रहे होते हैं। वह भीतर से वैसा आनंद महसूस कर रहा होता है।
इस तरह व्यसन आपको कमजोर बनाता है, भक्ति आपका विकास करती है। दोनों के ही अनुभव बड़े सुखद होते हैं। व्यसन आपको आनंद के कुछ पल दे सकता है, लेकिन भक्ति आपको लगातार आनंद में डुबोए रख सकती है।
- वैचारिक पतन / कांग्रेस की नीतियों में कहां गायब है, ‘अखिल भारतीयता’
- सुझाव / ‘आत्मनिर्भरता’ के चरखे से कब घूमेगा ‘अर्थव्यवस्था का पहिया’
भक्ति के साथ सबसे अहम बात यह है कि यह आपका विकास करती है, आपका विस्तार करती है और आपको ऐसा बना देती है कि आप सभी को साथ लेकर चल सकें। व्यसन आपको एक कोने की ओर धकेलता है, आपको अकेलेपन की ओर ले जाता है।
धीरे-धीरे यह अकेलापन इतना बढ़ जाता है कि इंसान को बेचैनी और अवसाद की खाई में धकेल देता है, क्योंकि आपका शरीर और मन दोनों बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि एक आपका विस्तार करता है और दूसरा आपको बर्बाद करता है। दोनों के बीच यही सबसे बड़ा फर्क है।
Support quality journalism – Like our official Facebook page The Feature Times
NOTE : The Feature Times is now available on Telegram and WhatsApp. For handpicked Article every day, subscribe to us on Telegram and WhatsApp).
Be First to Comment