क्या ज्योतिष ज्ञान का कोई वैज्ञानिक आधार होता है? क्या ज्योतिष के आधार पर भविष्यवाणी की जा सकती है? क्या ज्योतिष के जरिए हर उस समस्या का समाधान किया जा सकता है जो हमारी जिंदगी को दुख से भर देती हैं? ऐसे कई प्रश्न है जो लोगों के मन में जरूर उठते होंगे। क्या ये वास्तव में विज्ञान हैं या केवल मिथक?
इन सभी प्रश्नों के बारे में सद्गुरु जग्गी वासुदेव बताते हैं कि भारतीय पुराण-शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र और हस्तरेखा विज्ञान उपहास के विषय बन चुके हैं। क्योंकि इनको बहुत बढ़ा-चढ़ा दिया गया है। ये हास्यास्पद बन गए, क्योंकि इन्हें लेकर बेतुके दावे किए गए। एक वजह यह भी है कि इन चीजों को बहुत ज्यादा व्यवसायिक बना दिया गया है।
ऐसा नहीं है कि ग्रहों की स्थिति और धरती के जीवों के साथ उनके ज्यामितीय संबंधों से कोई भी इंकार कर सकता है। लेकिन ये चीजें उपहास का पात्र बनीं, क्योंकि इन्हें लेकर बहुत ही निरर्थक दावे किए गए। ये दावे एक तरह से सस्ते विज्ञापनों की तरह हैं जो किसी चीज को बेचने के लिए किए जाते हैं, जिसमें चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र इसलिए नहीं है कि वह आपको पहले ही बता सके कि आपकी या किसी और की जिंदगी में क्या होने वाला है। यह जीवन में आने वाली चीजों की रूप-रेखा को एक हद तक समझने के लिए है, जिससे आप अपनी गतिविधियों को उनके अनुसार तय कर सकें, ताकि आपको अधिक से अधिक लाभ हो।
‘अगर आपका ज्यामिति के साथ तालमेल सही बैठता है तो यह एक खास तरीके से काम करता है और अगर ऐसा नहीं होता तो यह अलग तरीके से काम करता है। कोई भी इस बात से इंकार नहीं कर सकता।’
आप जानते हैं कि खेल जगत से जुड़े लोग एक आसान सा काम करने के लिए भी चीजों को खास तरह से करते हैं। अगर आप किसी फुटबॉल को किक करके उसे सही दिशा में भेजना चाहते हैं तो आपको उसे एक खास तरीके से किक करना पड़ेगा।
ऐसा करने के लिए आपको अपने पैर की और बॉल की ज्यामिति का पता होना चाहिए। फिर आपको उसे ख़ास तरीके से किक मारनी होगी। तभी आप बॉल को उस दिशा में भेज पाएंगे, जिस दिशा में आप चाहते हैं, नहीं तो वह दर्शकों के पास चली जाएगी।
आपने पेशेवर फुटबॉल खिलाडियों के साथ भी ऐसा होते हुए देखा होगा, क्योंकि हम जो कुछ भी करते हैं, उसके पीछे ज्यामिति ही होती है। जब हम किसी काम में ज्यामिति का सही इस्तेमाल करते हैं, तो वह एक खास तरीके से घटित होता है और जब ऐसा नहीं करते तो उसी काम का दूसरा परिणाम होता है। हमारी जिंदगी के हर पहलू के साथ ऐसा ही है। शायद खेलों में इसका असर ज्यादा साफ दिखाई देता है।
लेकिन जब आप गाड़ी चलाते हैं या घुड़सवारी करते हैं, यहां तक कि जब आप कुछ खाते हैं या खाना बनाते हैं, तब भी यह बात लागू होती है। जिस तरह आप जीवन के बारे में सोचते हैं और अनुभव करते हैं ये उस पर भी हर पल लागू होता है। अगर आपका ज्यामिति के साथ तालमेल सही बैठता है तो यह एक खास तरीके से काम करता है और अगर ऐसा नहीं होता तो यह अलग तरीके से काम करता है। कोई भी इस बात से इन्कार नहीं कर सकता।
‘यही आध्यात्मिक प्रक्रिया के साथ भी हो रहा है, योग और ज्योतिष शास्त्र के साथ भी हो रहा है, क्योंकि जो लोग इसे दूसरों तक पहुंचा रहे हैं, वे निष्ठा, ईमानदारी और अनुशासन की मिसाल पेश नहीं कर पा रहे हैं।’
अगर आप यह जान जाएं कि अलग-अलग समय पर ज्यामिति कैसी है, और उसका हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है, तो इससे आपको एक खास तरह की आजादी मिलेगी, जिससे आप अधिक स्पष्टता के साथ काम कर सकेंगे।
ऐसे में निश्चित ही आपके काम दूसरे लोगों से बेहतर होंगे। लेकिन यह किसी तरह की भविष्यवाणी नहीं है। अमुक ग्रह यह कह रहा है, तो जीवन में ऐसा होगा ऐसी सोच सिर्फ एक व्यावसायिक ढकोसला है। इसी तरह के ढकोसलों की वजह से यह उपहास का विषय बन गया है।
इसलिए यह बहुत जरूरी है कि इंसान की भीतरी प्रकृति से संबंध रखने वाले हर विज्ञान में एक खास तरह की निष्ठा और ईमानदारी हो, चाहे वह योग हो या कोई दूसरी आध्यात्मिक प्रक्रिया। जरूरी यह है कि वह लोगों तक विशुद्ध रूप में पहुंचे, नहीं तो एक बेहद महत्वपूर्ण चीज भी पीढ़ी दर पीढ़ी गलत रूप में आगे बढ़ते हुए उपहास का विषय बन जाएगी।
यही आध्यात्मिक प्रक्रिया के साथ भी हो रहा है, योग और ज्योतिष शास्त्र के साथ भी हो रहा है, क्योंकि जो लोग इसे दूसरों तक पहुंचा रहे हैं, वे निष्ठा, ईमानदारी और अनुशासन की मिसाल पेश नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी चीजों के उपहास का विषय बनने का कारण भी यही है।
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