मां काली योग की प्राथमिक देवी हैं। वह योग शक्ति की क्रिया शक्ति हैं, जो हमें शाश्वत की तलाश करने के लिए प्रेरित करती हैं। वह हमारे भीतर दैवीय गूंज की आवाज है, जब हम अपने अहंकार की पृष्ठभूमि को फीका करते हैं, तब मां काली हमारे भीतर आध्यात्मिक शक्ति का संचार करती हैं।
काली महान प्राण या लौकिक जीवन-शक्ति हैं। वह जीवन की सबसे प्रबल इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हैं, लोग जीना चाहते हैं वो कभी नहीं मरना चाहते हैं। अमरता की यह मूल कामना हमारे भीतर कुछ भ्रम या अहंकार नहीं है, यह सत् या शुद्ध होने का प्रतिबिंब है। शरीर अमर नहीं है, सृष्टि में, अनन्त का भाग जो हमारी आत्मा है। मोक्ष एक अलग विषय है, जो हर आत्मा के लिए इतना आसन नहीं होता है।
मां काली हमारे अंदर की सबसे प्रबल इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हैं, वो सभी को स्नेह करती हैं। मां काली की शक्ति हमारी ऊर्जाओं को वापस हृदय और हमारे अस्तित्व के मूल पर केंद्रित करने का काम करती है। मां काली की ऊर्जा निर्माण की सामान्य प्रक्रिया को उलट देती है। जो पृथ्वी को पानी में, पानी को अग्नि में, वायु को अग्नि में, वायु को आकाश में, आकाश को मन में और मन को शुद्ध चेतना में विलय कर देती हैं। वह हमें कई से वापस हमारे सबसे गहरे स्व और अस्तित्व में पुनः ले जाती हैं।
मां काली की ऊर्जा एक तरह से नकली मौत के अनुभव की तरह है। वह हमें बाहरी मन, भावनाओं और इंद्रियों से हमारा ध्यान आंतरिक हृदय में वापस लाने में मदद करती है। इस संबंध में वो आत्म-ज्ञान की प्रमुख देवी हैं। वह हमारे सारे अनुभव को एक कर देती हैं। काली निर्वाण शक्ति हैं, जो शक्ति हमें निर्वाण तक ले जाती है। वह हमारे भीतर निर्वाण का चुंबकीय खिंचाव हैं।
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योगिक शब्दों में, काली निरोध शक्ति हैं, वह शक्ति जो मन के सामान या चित्त के उतार-चढ़ाव को भंग करने की क्षमता देती हैं, यही योग सूत्र में पतंजलि के माध्यम से योग की परंपरा की परिभाषा सदियों से हम पढ़ते आ रहे हैं। उनकी शक्ति हमें जांचती है, उपेक्षा करती है, उकसाती है और मन के सभी कार्यों और प्राण को हृदय के भीतर पुरुषार्थ के अनंत मौन में विलीन कर देती है।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस के अनुभव से हमें सीखना चाहिए जो मां काली के बहुत बड़े भक्त थे। वो अपने गुरु तोता पुरी के माध्यम से वेदांत के आत्म-ज्ञान के महत्व को जानने के बाद उन्होने उस अनुभव को महसूस किया। उन्होंने ध्यान किया। ऐसा करने पर मां काली की छवि प्रकट हुई। उन्होंने पाया कि ज्ञान की तलवार से उन्होंने अपनी आसक्ति को नष्ट कर दिया। फिर भी उन्हें अंततः यह महसूस करना पड़ा कि ज्ञान की तलवार मां काली की है। वह हमें सिखाने के लिए एक रूप का प्रकल्प करती हैं, लेकिन अपने निराकार होने के रूप को प्रकट करने के लिए वह उस रूप को हटा देती हैं।
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