प्रभु श्रीराम के अमिट भक्त हनुमानजी श्रीराम की तरह बेहतर कुशल प्रबंधक हैं। सदियों पहले महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में इस बात का उल्लेख मिलता है। बाद में गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी हनुमानजी के उन गुणों के बारे में श्रीरामचरितमानस में विस्तार से बताया है, जिनके आधार पर वो कलियुग में लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं।
हिंदू पुराणों के अनुसार हनुमानजी अमर हैं। वह कलियुग के अंत तक इस पृथ्वी पर रहेगें। विलक्षण प्रतिभा के धनी हनुमानजी शक्ति और समर्पण के पर्याय हैं। वह मानव संसाधन का उपयोग करने में पारंगत थे। रामायण में हनुमानजी पर आधारित ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं, जिनसे पता चलता है कि उनकी कार्यकुशलता विशिष्ट प्रबंधन को दर्शाती है। उनकी इन विशेषताओं से युवा प्रबंधकों को सीखना चाहिेए।
प्रभु श्रीराम जानते थे उनकी यह क्षमता
हनुमानजी की प्रेरणा स्त्रोत माता अंजनी और आराध्य प्रभु श्रीराम हैं। वह सभी को साथ लेकर चलने की क्षमता के अनुपम उदाहरण हैं। श्रीराम उनकी यह क्षमता जानते थे। लंका पर विजय करने के लिए इसीलिए उन्होंने हनुमानजी को युद्ध के पहले शांति दूत बनाकर भेजा था।
मार्गदर्शक के तौर पर हनुमान जी
हनुमानजी हर परेशानी में निडर और साहसपूर्वक साथियों का साथ मार्गदर्शक के तौर पर देते थे। तो वहीं, विरोधी के रहस्य को जान लेना, दुश्मनों के बीच दोस्त खोज लेने की दक्षता रामायण के विभीषण प्रसंग में दिखाई देती है। हनुमानजी अपने वरिष्ठ जामवंत से अमूमन मार्गदर्शन लेते थे, जो एक बेहतर प्रबंधन का अमिट उदाहरण है।
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