शरीर को ऊर्जा भोजन से मिलती है, लेकिन आत्मा में ऊर्जा आत्मिक शक्ति से मिलती है। यदि हम अपने भीतर मौजूद आत्मिक शक्ति को सही प्रकार केंद्रित करें तो अपने भविष्य की योजनाओं को कामयाब बनाना हमारे लिए संभव होगा और जब हम ऐसा करते हैं, तो अपार संभावनाएं हमारा इंतजार कर रही होती हैं। सकारात्मकता के साथ हम अपने जीवन को नया दृष्टिकोण दे सकते हैं।
निराशावादी न बनें
याद रखें कि अतीत में किए गए आपके काम ही आपका आज और आने वाले कल का निर्धारण करते हैं। वे काम चाहे जानबूझकर किए गए हों या फिर अनजाने में। तो इसलिए खुद किसी भी रूप में निराश न हों। आज जो भी हैं, उसके पीछे काफी हद तक आपके कर्म ही उत्तरदायी हैं। बहुत संभव है कि समस्या के मूल में आपका दृष्टिकोण हो। तो, इसलिए स्वयं को निराशा के समुंदर में न जाने दें। ऐसा करने पर आप अपनी सकारात्मक ऊर्जा को स्वयं नष्ट कर रहे होते हैं।
क्षमा करें आगे बढ़ें
हम लोगों को क्षमा करने और भूलने का साहस नहीं जुटा पाते, जिससे हमारी समस्यायें और दुःख में पनपते रहते हैं। जब हम परिस्थितियों के वशीभूत होकर प्रतिक्रियाएं देने लगते हैं, और हमारा स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता, वह समय हमारे लिए काफी परेशान कर देने वाली होती हैं। लेकिन, जब क्षमा करने लगते हैं, तो हम स्वयं को अपने निजी अनुभवों से स्वतंत्र कर देते हैं।
दुख तो आना जाना है
दुःख हर किसी के जीवन का अटूट अंग होता है। लेकिन, कई बार हम अपने साथ हुए हादसों को स्वीकार ही नहीं कर पाते। यहीं से समस्याएं शुरू होती हैं। हमें यह मानना चाहिए कि जीवन में होने वाली हर घटना के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है। यदि हम इन बातों को स्वीकार कर लेंगे तो हमारा हृदय बंधन से मुक्त हो जाएगा।
इस तरह हृदय के मुक्त होते ही आपका शरीर भी नई शक्ति से नए सृजन में जुट जाएगा। जो हो गया उसे स्वीकार कर हम दुःख से मुक्त हो सकते हैं। यह बात भी याद रखिए कि सुख की चाह दुःख से मुक्ति की राह नहीं है, दुःख से मुक्ति ही सुख की राह है।
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