औषधि, भाषा शास्त्र, व्याकरण और अन्य विषयों पर ग्रंथ लिखने वाले पतंजलि ऋषि सिर्फ कई तरह की प्रतिभाओं के धनी ही नहीं थे, बल्कि वे प्रसिद्ध 18 तमिल शास्त्रीय सिद्धों, ऋषियों एवं बुद्धिजीवियों में से एक आत्मज्ञानी महापुरुष थे, लेकिन वे सर्वाधिक लोकप्रिय तो आधुनिक योग के पिता के रूप में हैं इसलिए नहीं कि उन्होंने योग विज्ञान की शुरुआत की पर इसलिए कि उन्होंने योग के मूल को प्रसिद्ध योग सूत्रों के रूप में लोगों के सामने रखा। योग सूत्र क्यों बनाए गए, यह बताते हुए, सदगुरु जग्गी वासुदेव कहते हैं कि हम उन्हें कैसे आत्मसात करें।
पतंजलि आत्मज्ञानी तो थे ही पर उनकी बुद्धिमत्ता का स्तर इतना ऊंचा था कि बड़े से बड़े वैज्ञानिक भी उनके सामने प्राथमिक स्कूल के बच्चों जैसे लगें, जीवन के हर पहलू के बारे में उन्हें ऐसी अदभुत समझ थी। हज़ारों वर्ष पहले, पतंजलि के समय में, योग कुछ ऐसा विशेषज्ञता-प्रधान होता जा रहा था कि योग के सैकड़ों स्कूल हो गए थे, जैसे आज चिकित्सा विज्ञान में हो गया है। हर बात के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ।
तीस साल पहले आप के लिए सिर्फ एक पारिवारिक डॉक्टर होता था। अब शरीर के हर भाग के लिए आप के पास अलग डॉक्टर है। शायद अगले 50 सालों में कुछ ऐसा हो जाएगा कि अगर आप को स्वास्थ्य परीक्षण कराना है तो 100 डॉक्टर्स की ज़रूरत पड़ेगी, लेकिन जब तक आप को इन 100 डॉक्टर्स के मिलने के समय मिलेंगे तब तक आप या तो ठीक हो जाएंगे नहीं तो स्वर्गवासी।
कोई सिद्धांत नहीं है योग सूत्र
आज कोई भी किताबें लिख कर उसे प्रकाशित कर सकता है, इसीलिए योग सूत्र की भी सैकड़ों अलग-अलग व्याख्याएं मिलती हैं, लेकिन योग सूत्र कोई सिद्धांत नहीं है जिसकी आप व्याख्या करेंगे। योग सूत्र कोई अभ्यास भी नहीं देते। वे एक वैज्ञानिक दस्तावेज की तरह हैं। वे सिर्फ यह बताते हैं कि इस तंत्र में कौन सी चीज़ क्या करती है? आप का जैसा इरादा हो या आप इस तंत्र में जो भी करना चाहें, उसके अनुसार आप कोई विशेष अभ्यास, कोई विशेष क्रिया तैयार करते हैं।
वे एक प्रकार से कह रहे हैं, ‘अगर आप अब भी सोचते हैं कि आप को एक नया मकान, या नई प्रेमिका, या नई गाड़ी, या ज्यादा धन वगैरह, या और कुछ मिल जाने से आपकी ज़िंदगी बेहतर हो जाएगी तो अभी आप के लिए योग का समय नहीं आया है।’
भाषा की दृष्टि से, सूत्र का अर्थ है धागा। माला में धागा होता है पर आप उसे धागे के कारण नहीं पहनते। किस तरह के फूल, मणि, मोती या हीरे आप लगाते हैं यह बनाने वाले की योग्यता पर निर्भर करता है। पतंजलि सिर्फ सूत्र दे रहे हैं क्योंकि बिना धागे के माला नहीं बन सकती, लेकिन आप कभी भी धागे के कारण माला नहीं पहनते। अतः धागे को देख कर अपने ख्याल न बनायें, निर्णय न करें। सूत्र सिर्फ पढ़ने और सिद्धांत रूप से समझने के लिये नहीं हैं। यदि आप इन्हें तर्क की दृष्टि से देखेंगे और बुद्धि से समझने का प्रयत्न करेंगे तो यह मूर्खतापूर्ण होगा।
‘पतंजलि सिर्फ सूत्र दे रहे हैं क्योंकि बिना धागे के माला नहीं बन सकती, लेकिन आप कभी भी धागे के कारण माला नहीं पहनते। अतः धागे को देख कर अपने ख्याल न बनायें, निर्णय न करें।’
किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो कुछ ख़ास अनुभव के किसी विशेष स्तर पर है, इस धागे का बहुत बड़ा अर्थ है। वह इसका प्रयोग एक सुंदर, उपयोगी माला बनाने में करेगा। पतंजलि के योग सूत्र कोई पुस्तक की तरह पढ़ने के लिये नहीं हैं। आप एक सूत्र लें और इसे अपने जीवन में उतारें। यदि एक सूत्र भी आप के जीवन की जीवित वास्तविकता बन जाता है तो आप को बाकी के सूत्र पढ़ने की भी आवश्यकता नहीं होगी।
एक अदभुत दस्तावेज है ‘योग सूत्र’
‘योग सूत्र’ जीवन पर तैयार किया गया एक अदभुत दस्तावेज है। पतंजलि ने इसकी शुरुआत बहुत ही अनोखे ढंग से की है। पतंजलि के योग सूत्र का पहला अध्याय सिर्फ आधा वाक्य है, ‘….. और अब योग’। वे एक प्रकार से कह रहे हैं, ‘अगर आप अब भी सोचते हैं कि आप को एक नया मकान, या नई प्रेमिका, या नई गाड़ी, या ज्यादा धन वगैरह, या और कुछ मिल जाने से आपकी ज़िंदगी बेहतर हो जाएगी तो अभी आप के लिए योग का समय नहीं आया है। अगर आप ने यह सब देख लिया है और आप को लगता है कि ये सब आप के जीवन को किसी भी तरह से पूरा नहीं करते तो बस आप के लिए ही है, ‘…. और अब योग’!
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