प्लास्टिक एक हानिकारक तत्व है, जो मिट्टी में बहुत लंबे समय के बाद नष्ट होता है और इसे जलाया जाए तो ये वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होता है। ऐसे में हमारे पास एक विकल्प मौजूद है कि हम प्लास्टिक से बनी पानी की बोतल की वजह क्यों न बांस की बोतल का उपयोग करें।
बांस की बोतल जिसमें पानी हो और ढक्कन सुनने में अजीब लगता है लेकिन असम के बिस्वनाथ चारली शहर में रहने वाले धृतिमन बोराह ऐसा ही एक प्रोडक्ट काफी समय पहले मार्केट मे लाए थे, जिन्हें दुनियाभर के लोगों ने सराहा। आलम यह है कि आज उनकी कंपनी की बनाई हुई बांस की बोतल 400-600 रुपए मूल्य में लोग ऑनलाइन खरीद रहे हैं।
पर्यावरण के लिए अनुकूल यह प्रोडक्ट सिर्फ भारत में संभवतः धृतिमन बोराह की कंपनी ही बना रही है। ऐसे में इस व्यापार और यूनीक आईडिया को आगे ले जाने के लिए लोग आगे आ सकते हैं। ताकि बांस की बोतल की पहुंच आम आदमी तक हो सके।
बांस का गिलास बना प्रेरणा
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में दुनिया भर में 480 से अधिक बिलियन प्लास्टिक पीने की बोतलें बेची गईं। धृतिमन बांस के कई प्रोडक्ट बनाते हैं, लेकिन उनको जब बांस की बोलत बनाने की विचार आया तो उन्होंने इसे साकार रूप देकर इसे मार्केट में लाए जो काफी अपनी शुरूआत से ही काफी सराहा जा रहा है।
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बोराह की कंपनी डीबी, जिसे उन्होंने 2001 में स्थापित किया गया था, सफलतापूर्वक विदेशों में बांस के प्रोडक्ट को बेच रही है। टीएलआई से वो कहते हैं, ‘बांस के फर्नीचर, रसोई के बर्तन और कृषि उपकरणों के निर्माण का हमारा पारिवारिक व्यवसाय अच्छा चल रहा था। हालांकि, मैं कप, मग और बोतलों जैसे उपयोगी उत्पादों को एक नया डिज़ाइन देना चाहता था। बोतल का विचार मुझे 2017 में आया। जब मैंने एक बांस का गिलास देखा। मुझे लगा कि बांस पर ढक्कन लगाने से यह बोतल में बदल जाएगा और मैनें इसे बनाया और आज आपके सामने है।’
ये बोतलें थीं तंग, अब हैं बेहतर
सोशल मीडिया के कारण बांस का यह प्रोडक्ट काफी तेजी से लोगों की नजर में आया और इस प्रोडक्ट की मांग बढ़ गई। वो कहते हैं, मुझे याद है कि मैंने अपने फेसबुक पेज पर बांस की बोतलों की एक तस्वीर पोस्ट की थी। कुछ समय में ही लोग पूछ रहे हैं कि इसे कहां से खरीदा जाए। 30 दिनों के भीतर, मुझे 500-600 बांस की बोतलों के ऑर्डर मिले।’
बांस की बोतल पूरी तरह से जैविक हैं और टिकाऊ बांस बालुका (बंबूसा बालकोआ) से बनाई जाती हैं। बोतल के ढक्कन एयर-टाइट होते हैं और बांस के बने होते हैं। लोगों को मेरी बोतलों का उपयोग करने की मुख्य चिंता यह थी कि ये बोतलें कितनी तंग थीं।’ हालांकि बाद में लोग इसके अनुकूल होते गए। अब ये शिकायत कम आती है। बोतल बनाने में 4-5 घंटे लगते हैं, जिसमें बांस को काटने, सुखाने, उबालने, शामिल होने की प्रक्रिया शामिल है।
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ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर अपना अनूठा उत्पाद बेचना शुरू कर दिया। यह पूछने पर कि क्या उनकी बोतलों का कोई प्रतियोगी है, उन्होंने कहा, ‘अभी हमारे पास देश में कोई प्रतियोगी नहीं है।’ चीन में एक ब्रांड बांस की बोतलें बनाता है, लेकिन वे बोतल के अंदर विभिन्न सामग्रियों जैसे कांच और धातु को जोड़ते हैं। उन्होंने भारत में अपने उत्पाद के पेटेंट अधिकार के लिए अर्जी दी है।
अक्टूबर में बोतल का नया डिजाइन
बांस की बोतलों को मिला पहला अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर 2018 में था, जब कंपनी ने बोतलों को दिल्ली के एक अंतरराष्ट्रीय मेले में प्रदर्शित किया था। धृतिमन कहते हैं कि विदेशी लोगों की मानसिकता को समझने के लिए, मैं अपने कुछ विदेशी ग्राहकों को बोतलें भेजता हूं। दरअसल, विदेशी लोग वाटरप्रूफ ऑयल पॉलिश से बचते हैं, जो अतिरिक्त चमक प्रदान करता है। भारत में, लोग चमकदार उत्पाद पसंद करते हैं।
बोराह ने अब अपने उत्पाद को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आसानी से निर्यात करना शुरू कर दिया है। पिछले एक साल में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और सऊदी अरब को बांस की बोतलों का निर्यात किया है। वो कहते है कि हम बड़ी बोतलें बनाने की योजना बना रहे हैं जो 2 या अधिक लीटर पानी ले जा सकती हैं। नया डिजाइन अक्टूबर में आएगा।
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